NIA की वांटेड लिस्ट में पाकिस्तानी डिप्लोमैट का नाम, भारत में आतंकी हमले की रची थी साजिश
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 9, 2018 12:03 PM2018-04-09T12:03:50+5:302018-04-09T12:03:50+5:30
एनआईए के अनुसार साल 2009 से 2016 तक कोलम्बो में तैनात पाकिस्तानी अफसरों ने चेन्नई समेत कई जगहों पर आतंकी हमले की योजना बनायी थी।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने पाकिस्तानी के राजनयिक को वांटेड (वांछित) की सूची में डाला है और उनकी तस्वीर जारी करके उनके बारे में जानकारी माँगी है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार श्रीलंका के कोलम्बो में वीज़ा अफ़सर के तौर पर काम कर चुके तैनात पाकिस्तानी राजनयिक आमिर ज़ुबैर सिद्दीकी एवं दो अन्य पाक अफसरों के खिलाफ एनआईए ने वांटेड का वारंट जारी किया है। सिद्दीकी समेत तीनों पाकिस्तानियों पर साल 2014 में अमेरिका और इजराइल के दूतावास पर 26 नवंबर 2008 को मुंबई हुए आतंकवादी हमले जैसे हमले करने का षडयंत्र करने का आरोप है। इन तीनों पाकिस्तानियों पर दक्षिण भारत के सैन्य और नौसैनिक ठिकानों पर हमले की योजना बनाने का भी आरोप है।
एनआईए के अनुसार श्रीलंका में तैनात एक और पाकिस्तानी राजनयिक इन साजिशों में शामिल था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए इन तीनों पाकिस्तानी अफसरों के खिलाफ इंटरपोल में शिकायत करके उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस (आरसीएन) जारी करने की माँग करने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार इन तीनों अफसरों को पाकिस्तान ने इस्लामाबाद वापस बुला लिया है। एनआईए ने सिद्दीकी के खिलाफ फ़रवरी 2018 में वारंट जारी किया था। सिद्दीकी के अलावा एनआईए ने जिन पाक अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किया है उनमें एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का अफसर है जो "विनीत" या "बॉस उर्फ शाह" जैसे छद्म नामों का प्रयोग करता रहा है।
एनआईए के अनुसार साल 2009 से 2016 तक कोलम्बो में तैनात पाकिस्तानी अफसरों ने चेन्नई समेत कई जगहों पर आतंकी हमले की योजना बनायी थी। एनआईए के अनुसार सिद्दीकी ने श्रीलंकाई नागरिक मोहम्मद साकिर हुसैन के अलावा अरुण सेलवराज, सिवबालन और थमीम अंसारी को इस काम के लिए नियुक्त किया था। एनआईए ने इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। एनआईए के अनुसार सिद्दीकी ने इन लोगों से भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों, परमाणु संस्थानों से जुड़ी जानकारियाँ और सैन्य आयुधों के परिवहन इत्यादि से जुड़ी तस्वीरें लेने के लिए कहा था। सिद्दीकी ने इन लोगों को भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के लैपटॉप इत्यादि चुराने और जाली भारती मुद्राओं को चलाने के लिए भी कहा था।