ऑड- ईवन पर NGT में याचिका, आप सरकार के फैसले को चुनौती
By भाषा | Published: September 16, 2019 07:40 PM2019-09-16T19:40:04+5:302019-09-16T19:40:04+5:30
दिल्ली में यह योजना दो बार पहले भी लागू की जा चुकी है। वाहनों की सम-विषम योजना के तहत एक दिन ऐसे वाहन चलेंगे, जिनकी नम्बर प्लेट की आखिरी संख्या सम होगी। वहीं, अगले दिन वे वाहन चलेंगे, जिनके नंबर प्लेट पर आखिरी संख्या विषम होगी।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में सोमवार को एक याचिका दायर कर चार से 15 नवंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की ‘‘सम-विषम (नंबर) योजना’’ लागू करने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
दिल्ली में यह योजना दो बार पहले भी लागू की जा चुकी है। वाहनों की सम-विषम योजना के तहत एक दिन ऐसे वाहन चलेंगे, जिनकी नम्बर प्लेट की आखिरी संख्या सम होगी। वहीं, अगले दिन वे वाहन चलेंगे, जिनके नंबर प्लेट पर आखिरी संख्या विषम होगी।
A petition challenging the odd-even vehicle rationing scheme of the Delhi Government, moved in the National Green Tribunal (NGT). pic.twitter.com/pzXtiBNEfI
— ANI (@ANI) September 16, 2019
साथ ही, उसके बाद के दिनों में भी यह क्रम जारी रहेगा। अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सम-विषम योजना के प्रभाव का आकलन किया और यह पाया कि इसके क्रियान्वयन अवधि में शहर की वायु गुणवत्ता इसके लागू नहीं रहने की अवधि की तुलना में और खराब हो गई।
दिल्ली में यह योजना जनवरी और अप्रैल 2016 में लागू की गई थी। याचिका में कहा गया है, ‘‘जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक स्वर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में नाकाम रही थी, ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किये गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को दिल्ली सरकार का लागू करना, न सिर्फ अप्रिय है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।’’
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 सितंबर को कहा था कि सम- विषम योजना पराली प्रदूषण पर सात सूत्री कार्य योजना का हिस्सा है। याचिका के जरिए दिल्ली सरकार को अन्य देशों द्वारा किये गए उन अध्ययनों को सौंपने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिनके आधार पर आप सरकार ने सम-विषम नीति लागू करने का फैसला किया था।
साथ ही, अध्ययन की सत्यता का पता लगाने के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करने का भी अनुरोध किया गया है। सीपीसीबी ने 2016 की अपनी रिपोर्ट में एनजीटी से कहा था कि यह बताने के लिए कोई आंकड़ा नहीं है कि इस योजना ने वाहनों के प्रदूषण को घटाने में कोई असर डाला होगा।
साथ ही, पीएम 10 (हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण) और पीएम 2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण) की मात्रा में उतार-चढ़ाव मौसम और हवा की गति में बदलाव पर निर्भर करता है।