यमुना की सफाई की बताई जाए निश्चित समयसीमा, इस बार हुए फेल तो भुगतने होंगे नतीजे: एनजीटी
By भाषा | Published: August 25, 2019 06:44 PM2019-08-25T18:44:41+5:302019-08-25T18:47:46+5:30
एनजीटी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पिछले 30 सालों में कई बार यमुना की सफाई की बात हुई है लेकिन दी गई समय-सीमाओं का पालन नहीं किया गया। एनजीटी ने सभी प्राधिकरणों को उसके आदेशों के संबंध में उठाए गए कदमों के लिए समय-सीमा बताने के निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने यमुना नदी की सफाई के लिए सभी पक्षकारों को एक निश्चित समय-सीमा बताने के निर्देश दिए हैं। उसने कहा कि पिछले 30 वर्षों में बार-बार दी गई समय-सीमाओं का पालन नहीं किया गया और नदी अब भी प्रदूषित है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिकरण नये सिरे से समय-सीमा तय करेगा और साथ ही आगाह किया कि इन समय-सीमाओं का उल्लंघन करने के प्रतिकूल नतीजे भुगतने पड़ेंगे। पीठ ने कहा, 'पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा और यमुना नदी के विशिष्ट महत्व के संदर्भ में जल्द से जल्द इस तरह के प्रदूषण पर लगाम लगाने की जरूरत है।'
एनजीटी ने सभी प्राधिकरणों को उसके आदेशों के संबंध में उठाए गए कदमों के लिए समय-सीमा बताने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन को ऐसी सूचनाओं को संग्रहित करने और जहां कहीं भी समय-सीमा समाप्त हो गई है, वहां इसकी अवधि बढ़ाने के बारे में बताने के निर्देश दिए।
एनजीटी ने पहले कहा था कि प्राधिकरणों की नाकामी नागरिकों के जीवन एवं स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है और यमुना जैसी प्रमुख नदी के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रही है। उसने कहा था कि यमुना में प्रदूषण गंभीर चिंता का सबब है। यह औद्योगिक कचरे और मल जल से बहुत ज्यादा प्रदूषित है।