नए आतंकी गुट ने प्रवासी नागरिकों से कहा, कश्मीर खाली कर दो
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 18, 2021 04:26 PM2021-10-18T16:26:58+5:302021-10-20T21:02:41+5:30
कश्मीर में उभरे एक नए आतंकी गुट ने प्रवासी नागरिकों से कश्मीर को तत्काल खाली करने के लिए कहा है। तकरीबन अढ़ाई से तीन लाख प्रवासी नागरिकों में इस चेतावनी के बाद कश्मीर से निकलना चाहते हैं ।
कश्मीर : कश्मीर में उभरे एक नए आतंकी गुट ने प्रवासी नागरिकों से कश्मीर को तत्काल खाली करने के लिए कहा है। तकरीबन अढ़ाई से तीन लाख प्रवासी नागरिकों में इस चेतावनी के बाद भगदड़ मची हुई है।
कश्मीर के जिला कुलगाम में गत रविवार को हुई दो मजदूरों की हत्या की जिम्मेदारी यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट (यूएलएफ) ने ली है। इसी के साथ इस गुट ने कश्मीर में डेरा डाले बाहरी लोगों को यह चेतावनी भी दी है कि वे जल्द से जल्द कश्मीर से चले जाएं अन्यथा उनके साथ भी ऐसा ही किया जाएगा। हालांकि आतंकवादियों की इस चेतावनी से पहले ही प्रवासी लोगों ने घाटी से पलायन शुरू कर दिया है। इस गुट के प्रति पुलिस पता लगाने की कोशिश में जुटी है।
यही कारण था कि कल रात के बाद आज सुबह भी कश्मीर के टैक्सी स्टेंड व बस स्टेंड पर जम्मू आने वाले प्रवासी लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली। राजस्थान केे एक प्रवासी परिवार ने कहा कि वे कश्मीर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। दो अक्तूबर केे बाद से आतंकवादियों ने घाटी में 12 लोगों की हत्या की है। वे अपने बीवी-बच्चों के साथ यहां रह रहे थे। उनकी जान पर भी खतरा बना हुआ है। वे इसके लिए तैयार नहीं है। इसीलिए उन्होंने कश्मीर छोड़ने का फैसला किया है। आतंकवादी जब चाहें किसी भी किसी की भी हत्या कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास कश्मीर छोड़ने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं रह जाता है।
कश्मीर में अक्तूबर में 5 प्रवासियों की हत्या हो चुकी है। बिहार के 4 मजदूरों-रेहड़ी वालों का मर्डर हो चुका है। यूपी के एक मुस्लिम कारपेंटर को भी आतंकियों ने मार दिया है। इससे पहले लोकल सिख और हिंदू टीचर की हत्या कर दी गई थी। मशहूर दवा कारोबारी कश्मीरी पंडित मक्खनलाल बिंद्रू को भी आतंकियों ने मार दिया था। अक्तूबर में 2 लोकल मुस्लिमों का भी आतंकियों ने मर्डर किया।
हालांकि कश्मीर से पलायन कर रहे श्रमिकों का कहना है कि वे ये पलायन हमेशा केे लिए नहीं कर रहे हैं। हालात बेेहतर होने पर वे फिर वापस लौटेंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग भी उनकेे जाने से दुखी हैं, उनके जाने से कामकाज पर भी असर पड़ता है। खेतों, मकान निर्माण, मजदूरी, रेहड़ी का अधिकतर काम हम बाहरी लोग ही करते हैं। ऐसे में सभी के कश्मीर से चले जाने से आम लोगों के कामकाज पर असर पड़ना स्वाभाविक है। परंतु मौजूदा हालत को देखते हुए वे भी कुछ कर पाने में असमर्थ हैं।