नीट-पीजी दाखिलाः EWS की आठ लाख सालाना आय सीमा बढ़ाने पर विचार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

By भाषा | Published: November 25, 2021 05:41 PM2021-11-25T17:41:39+5:302021-11-25T17:45:35+5:30

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी निर्धारित करने के लिए मानदंड तय करने के वास्ते एक समिति गठित की जाएगी और समिति को यह काम करने के लिए चार हफ्तों का वक्त लगेगा।

NEET admissions Post-Graduate medical courses EWS category review Rs 8 lakh criteria counselling deferred by 4 weeks Centre  | नीट-पीजी दाखिलाः EWS की आठ लाख सालाना आय सीमा बढ़ाने पर विचार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी की तारीख तय कर दी।

Highlightsमेडिकल काउंसिलिंग कमिटी के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती दी गयी है।नीट (पीजी) काउंसिलिंग और चार हफ्तों के लिए स्थगित की जाती है। मौजूदा अकादमिक वर्ष के लिए काउंसिलिंग शुरू कर सकते हैं।

नई दिल्लीः केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि उसने नीट में परास्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) की श्रेणी निर्धारित करने के लिए तय आठ लाख रुपये की सालाना आय की सीमा पर फिर से गौर करने का फैसला लिया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी निर्धारित करने के लिए मानदंड तय करने के वास्ते एक समिति गठित की जाएगी और समिति को यह काम करने के लिए चार हफ्तों का वक्त लगेगा।

मेहता ने कहा कि अदालत में पहले दिए आश्वासन के अनुसार नीट (पीजी) काउंसिलिंग और चार हफ्तों के लिए स्थगित की जाती है। शीर्ष न्यायालय छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मौजूदा अकादमिक वर्ष के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) में चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र तथा मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती दी गयी है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण बहुत सक्षम और प्रगतिशील प्रकार का आरक्षण है और सभी राज्यों को केंद्र के इस प्रयास में उसका समर्थन करना चाहिए। पीठ ने कहा कि एकमात्र सवाल यह है कि श्रेणी का निर्धारण वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए और वह इसकी सराहना करती है कि केंद्र ने पहले से तय मानदंड पर फिर से गौर करने का फैसला किया है।

याचिकाकर्ताओं (छात्रों) की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि चूंकि काफी समय बीत गया है तो केंद्र को अगले अकादमिक वर्ष के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण के क्रियान्वयन को वापस लेना चाहिए और मौजूदा वर्ष की काउंसिलिंग को शुरू करना चाहिए। पीठ ने दातार की दलीलों पर सहमति जतायी और मेहता से पूछा कि क्या वह अगले आकदमिक वर्ष तक संवैधानिक संशोधन के क्रियान्वयन को वापस ले सकते हैं और मौजूदा अकादमिक वर्ष के लिए काउंसिलिंग शुरू कर सकते हैं।

इस पर मेहता ने कहा कि सरकार ने मौजूदा अकादमिक वर्ष के लिए 103वें संवैधानिक संशोधन को लागू करने का फैसला लिया और इसे वापस लेना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर श्रेणी निर्धारण की प्रक्रिया चार हफ्तों से पहले हो जाती है तो वह अदालत को सूचित करेगा।

पीठ ने दातार से कहा कि चार हफ्तों का समय अनुचित नहीं है और वह नहीं चाहती है कि सरकार इसे जल्दबाजी में करें वरना मानदंड अवैज्ञानिक और बेतरतीब ढंग से तय किए जाएंगे। ओबीसी उम्मीदवारों की ओर से पेश वकील शशांक रत्नू ने अनुरोध किया कि ओबीसी छात्रों के आरक्षण की अर्जी खारिज नहीं की जानी चाहिए।

 क्योंकि केंद्र ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए मानदंड पर फिर से गौर करने की योजना बना रहा है। इस पर पीठ ने कहा कि उसने ओबीसी छात्रों के बारे में कुछ नहीं कहा है और वह याचिका का निस्तारण नहीं कर रहा है। इसके बाद न्यायालय ने मेहता की दलीलें सुनी और मामले पर अगली सुनवाई के लिए छह जनवरी की तारीख तय कर दी। 

 

Web Title: NEET admissions Post-Graduate medical courses EWS category review Rs 8 lakh criteria counselling deferred by 4 weeks Centre 

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