असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगेः रिपोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 20, 2019 02:09 PM2019-11-20T14:09:21+5:302019-11-20T14:09:21+5:30

यूएससीआईआरएफ आयुक्त अनुरिमा भार्गव ने इस मुद्दे पर कांग्रेशनल आयोग के समक्ष इस सप्ताह अपनी गवाही में कहा, ‘‘असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे। उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना’’ समाप्त की जा रही है।’’

Nearly 20 lakh people living in Assam for a long time will not be citizens of any place soon: report | असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगेः रिपोर्ट

भारत सरकार से उसके सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की जो संविधान में दर्ज हैं।

Highlightsअसम में मुसलमानों को अलग थलग करने और वहां से बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अपनी मंशा लगातार दोहराई है।अब भारत भर में नेता एनआरसी का दायरा बढ़ा कर सभी मुसलमानों के लिए भिन्न नागरिकता मानक लागू करने पर विचार कर रहे हैं।’

अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए मंगवार को कहा कि असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगे।

साथ ही आरोप लगाया कि उनकी नागरिकता ‘‘निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना’’ समाप्त की जा रही है। एनआरसी के धार्मिक स्वतंत्रता निहितार्थ पर एक रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने कहा कि अद्यतन सूची में 20 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई कि किस प्रकार से इस पूरी प्रक्रिया का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।

यूएससीआईआरएफ आयुक्त अनुरिमा भार्गव ने इस मुद्दे पर कांग्रेशनल आयोग के समक्ष इस सप्ताह अपनी गवाही में कहा, ‘‘असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे। उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना’’ समाप्त की जा रही है।’’

भार्गव ने कहा, ‘‘इससे भी बुरा यह है कि भारतीय राजनीतिक अधिकारियों ने असम में मुसलमानों को अलग थलग करने और वहां से बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अपनी मंशा लगातार दोहराई है। और अब भारत भर में नेता एनआरसी का दायरा बढ़ा कर सभी मुसलमानों के लिए भिन्न नागरिकता मानक लागू करने पर विचार कर रहे हैं।’’

यूएससीआईआरएफ प्रमुख टोनी पेर्किन्स ने कहा कि अद्यतन एनआरसी और भारत सरकार के इसके बाद के कदम मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने के लिए एक प्रकार से ‘‘नागरिकता के लिए एक धार्मिक कसौटी’’ तैयार कर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से उसके सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की जो संविधान में दर्ज हैं।

Web Title: Nearly 20 lakh people living in Assam for a long time will not be citizens of any place soon: report

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