NCRB के आंकड़ों में खुलासा, 2019 में बढ़े SC-ST पर अपराध के मामले, दलित महिलाओं से रेप में भी बढ़ोतरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2020 07:01 PM2020-10-01T19:01:15+5:302020-10-01T19:01:15+5:30
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत होने और कथित तौर पर परिवार की इजाजत के बिना आननफानन में पीड़िता का अंतिम संस्कार करने को लेकर यूपी की योगी सरकार सवालों के घेरे में है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित बेटी के साथ गैंगरेप की घटना और उसके बाद हुई मौत ने एकबार फिर पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इसी के साथ बुधवार 30 सितंबर को जारी हुई नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी की रिपोर्ट ने सरकार के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में एससी के खिलाफ अपराध के मामलों में 7 प्रतिशत और एसटी के खिलाफ 26 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
अनुसूचित जाति की महिलाओं से बलात्कार में राजस्थान ऊपर
एससी के खिलाफ 2019 में कुल 45,935 मामले दर्ज किए जो 2018 के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा है। इन मामलों में उत्तर प्रदेश ने टॉप किया है। यहां एक साल में एससी के खिलाफ कुल 11,829 मामले दर्ज हुए। इसके बाद राज्यस्थान और बिहार का नंबर आता है। अनुसूचित जाति की महिलाओं से बलात्कार के मामलों में राजस्थान 554 केस के साथ सबसे ऊपर है उसके बाद यूपी और एमपी का नंबर आता है।
अनसूचित जनजाति के खिलाफ एमपी में सर्वाधिक अपराध
एसटी की बात करें तो 2019 में कुल 8257 मामले दर्ज किए गए जो कि 2018 के मुकाबले 26 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसमें मध्य प्रदेश ने 6,528 केस के साथ टॉप किया है। इसके बाद राजस्थान और ओडिशा का नंबर आता है। अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के साथ रेप के सबसे ज्यादा मामले भी मध्य प्रदेश से ही सामने आए हैं। इसके बाद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र आते हैं।
अन्य अपराधों में भी 2018 के मुकाबले बढ़ोत्तरी
इसके अलावा संज्ञेय अपराध की बात करें तो कुल 51,56,172 केस आईपीसी के तहत और 19,30,471 केस एसएसएल के तहत 2019 में दर्ज किए गए हैं। जो 2018 के मुकाबले 1.6 प्रतिशत ज्यादा हैं। साइबर अपराध के मामलों में 60.4 प्रतिशत, यौन शोषण के मामलों में 5.1 प्रतिशत की बढोतरी भी देखी गई है।
हाथरस गैंगरेप पर कटघरे में सरकार
उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत होने और कथित तौर पर परिवार की इजाजत के बिना आननफानन में पीड़िता का अंतिम संस्कार करने को लेकर यूपी की योगी सरकार सवालों के घेरे में है। विपक्ष का आरोप है कि प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि पीड़िता दलित है और आरोपी सवर्ण।
वहीं सरकार का दावा है कि राज्य में कानून व्यवस्था कायम है और इस मामले में फास्ट-ट्रैक के जरिये दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।