देवेंद्र फड़नवीस का दावा, दो साल पहले बीजेपी के साथ आने वाली थी एनसीपी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 24, 2020 05:58 AM2020-06-24T05:58:57+5:302020-06-24T05:58:57+5:30

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'फड़नवीस' उपनाम होने की वजह से शरद पवार ने कुछ जगह अपना रवैया बदला. प्रगतिशील कहलाने वाले लोगों ने उन्हेें जाति के नाम पर कई बार निशाना बनाया.

NCP Wanted To Join Hands With BJP Two Years Ago: Devendra Fadnavis | देवेंद्र फड़नवीस का दावा, दो साल पहले बीजेपी के साथ आने वाली थी एनसीपी

80 घंटे के लिए दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फड़नवीस इस पर किताब लिखेंगे (फाइल फोटो)

Highlightsएक सवाल के जवाब में फड़नवीस ने कहा कि राज्य में कोई नया राजनीतिक समीकरण नहीं बन रहा है।फड़नवीस ने कहा, एनसीपी दो साल पहले भाजपा के साथ हाथ मिलाना चाहती थी जब मैं मुख्यमंत्री था।

प्रमोद गवली।

राज्य में गठबंधन की सरकार होने के बावजूद वर्ष 2014 से 2019 के दौरान भाजपा और शिवसेना के बीच कभी भी सामान्य संबंध नहीं रहे. शिवसेना ने ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जब भाजपा को निशाने पर नहीं लिया हो. एक यू ट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने दावा किया है कि दो साल पहले ऐसी स्थिति बन गई थी कि उनकी पार्टी और एनसीपी एक साथ आने वाले थे. इससे यह साफ हो जाता है कि दो साल पहले से भाजपा और एनसीपी के बीच खिचड़ी पक रही थी. इसी वजह से पिछले साल 23 नवंबर की सुबह फड़नवीस को बतौर मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने में कोई संकोच नहीं हुआ. दरअसल, भाजपा चाहती है कि उसके पास शिवसेना का कोई विकल्प हो.

पीएम मोदी ने कहा था, शिवसेना को छोड़ा नहीं जा सकता

इस साक्षात्कार में फड़नवीस ने कहा कि जब भाजपा और राकांपा साथ-साथ आने वाले थे तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ऐसा करते हुए शिवसेना को नहीं छोड़ा जा सकता. इस बात से अमित शाह ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अवगत करा दिया था. बाद में स्थिति ऐसी बनी कि राकांपा को हम साथ नहीं ले पाए, जबकि वह हमारे साथ आने के लिए पूरी तरह तैयार थी. इतना सब कुछ होते हुए भी शिवसेना का मौजूदा बर्ताव पूरी तरह गलत है. बालासाहब ठाकरे होते तो इस सरकार को वे कतई मंजूर नहीं करते.

फड़नवीस ने कहा कि अजित पवार के साथ उनकी 80 घंटे की सरकार पर वे पुस्तक लिखना चाहते हैं. उसमें सभी तथ्यों और कई बातों का खुलासा हो जाएगा. उस समय हमें राकांपा की ओर से खुली ऑफर थी. यहां 'राकांपा' से मतलब अजित पवार से नहीं है. बाद में राकांपा ने पैंतरा बदल लिया. लेकिन, अजित ने कहा था कि तीन दलों की सरकार चल नहीं सकती, इसी वजह से उनके साथ सुबह शपथ लेनी पड़ी. उस सरकार को अमित शाह का आशीर्वाद प्राप्त था. अब ऐसा लगता है कि वह फैसला गलत था. यदि उच्चतम न्यायालय का निर्णय हमारे खिलाफ गया न होता तो वह सरकार बनी रहती.

2019 में बाजी हाथ से निकल गई

फड़नवीस ने कहा कि वर्ष 2014 में उन्हें नहीं पता था कि वे मुख्यमंत्री बनने वाले हैं. पार्टी हाईकमान ने हालांकि उन्हें बता दिया था, लेकिन किसी को बताने से मना किया था. वर्ष 2019 में जब ऐसा लग रहा था कि वे मुख्यमंत्री बन ही जाएंगे, तब बन नहीं पाए. इसका बड़ा दु:ख हुआ. सारी स्थितियां अनुकूल होने के बावजूद बाजी हाथ से निकल गई. इस सदमे से बाहर आने में उन्हें दस से बारह दिन लग गए.

विपक्ष के नेता फड़नवीस ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उनके फोन तक नहीं उठाए. जबकि पूरे पांच साल तक हमने उनकी हर बात मानी. यदि उन्हें कुछ बात खटक रही थी तो उन्हें आमने-सामने बोलना चाहिए था. उन्होंने कहा कि उनमें इतनी क्षमता नहीं है कि वे प्रधानमंत्री पद का सपना देंखे. उन्होंने आरोप लगाया कि 'फड़नवीस' उपनाम होने की वजह से शरद पवार ने कुछ जगह अपना रवैया बदला. प्रगतिशील कहलाने वाले लोगों ने उन्हेें जाति के नाम पर कई बार निशाना बनाया.

Web Title: NCP Wanted To Join Hands With BJP Two Years Ago: Devendra Fadnavis

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