राकांपा ने शशींद्रन का बचाव किया, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा

By भाषा | Published: July 21, 2021 06:02 PM2021-07-21T18:02:29+5:302021-07-21T18:02:29+5:30

NCP defends Saseendran, opposition seeks resignation | राकांपा ने शशींद्रन का बचाव किया, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा

राकांपा ने शशींद्रन का बचाव किया, विपक्ष ने मांगा इस्तीफा

तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को कहा कि उन्हें अभी नहीं लगता कि केरल के वन मंत्री ए के शशींद्रन ने कोई गैरकानूनी काम किया है। मंत्री पर कोल्लम में पार्टी की एक सदस्य से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में समझौता कराने की कोशिश करने का आरोप है।

इस बीच, शशींद्रन ने मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्होंने पूरे मामले और इसमें उनकी भूमिका के बारे में मुख्यमंत्री को बताया तथा विजयन ने उन्हें सुना।

बहरहाल, शशींद्रन ने यह नहीं बताया कि मुख्यमंत्री का जवाब क्या था।

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के संयोजक और माकपा के केरल प्रदेश समिति के सचिव ए. विजयराघवन ने कहा कि उनकी पार्टी या राज्य सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है क्योंकि उनके पास मामले के संबंध में पूरी जानकारी नहीं है।

उन्होंने बताया कि अभी केवल उतनी ही जानकारी उपलब्ध है जितनी समाचार चैनलों पर दिखाई जा रही है और उसके आधार पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है इसलिए वह इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते कि शशींद्रन को इस्तीफा देना चाहिए या नहीं।

विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने शशींद्रन के इस्तीफा देने की अपनी मांग दोहरायी और कहा कि अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री को उन्हें हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर शशींद्रन इस्तीफा नहीं देते या उन्हें हटाया नहीं जाता तो यह मुद्दा विधानसभा में उठाया जाएगा जिसका दूसरा सत्र बृहस्पतिवार से शुरू होगा।

कांग्रेस सांसद बेन्नी बेहानन ने केरल के राज्यपाल को बुधवार को लिखे अपने पत्र में भी यही मांग की। उन्होंने राज्यपाल से मुख्यमंत्री को राज्य के वन मंत्री को हटाने का निर्देश देने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने कोल्लम में राकांपा के एक अमीर नेता के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में समझौता करने के लिए पीड़िता के पिता पर कथित तौर पर दबाव डालकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया।

समाचार चैनलों में ये अटकलें लगायी गयी कि राज्य सरकार शशींद्रन का इस्तीफा नहीं लेगी। इसके बाद पीड़िता ने मीडिया से कहा कि वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के रुख से निराश हैं। उसने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने ऐसा रुख अपनाया है जिससे उनकी सरकार को फायदा हो और उनसे यह ‘‘उम्मीद नहीं’’ थी।

पीड़िता ने कहा कि इससे राज्य में महिलाओं को गलत संदेश जाएगा कि उनकी सुरक्षा सरकार के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। उसने कहा कि वह मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए अदालत जाने पर विचार कर रही है।

महिला ने यह भी दावा किया कि कुंद्रा पुलिस थाने ने अभी तक उसका बयान दर्ज नहीं किया है। पीड़िता ने बताया कि उसे मंगलवार को शाम छह बजे बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था लेकिन पुलिस ने बताया कि वह इतनी देर से नहीं आ सकती और अधिकारियों ने कहा कि वे उसे बुधवार को बुलाएंगे। उसने मीडिया को बताया, ‘‘मुझे अभी तक फोन नहीं आया है।’’

इससे पहले राकांपा के राष्ट्रीय सचिव टी पी पीताम्बरन ने कहा कि मंत्री ने कोल्लम में केवल कुछ पार्टी से संबंधित मुद्दे सुलझाने की कोशिश की है और इसके अलावा उन्होंने यौन उत्पीड़न के किसी भी मामले में दखल नहीं दी है।

केरल के राकांपा प्रदेश अध्यक्ष पी सी चाको ने भी शशींद्रन के खिलाफ आरोपों पर ऐसे ही विचार प्रकट करते हुए कहा कि मंत्री ने पीड़िता के पिता (एक स्थानीय पार्टी नेता) को मामला वापस लेने के लिए कभी नहीं कहा और उनसे केवल पार्टी संबंधित मुद्दे को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए कहा।

चाको ने दिल्ली में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि जहां तक राकांपा का संबंध है, उसके दो महासचिवों को यह पता लगाने के लिए कोल्लम भेजा गया है कि क्या हुआ था और उनकी रिपोर्ट में अगर यह पाया गया कि वहां पार्टी के कुछ सदस्यों ने ऐसे काम किए हैं जिससे पार्टी की छवि बिगड़ी है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों ने यौन उत्पीड़न मामले में कथित हस्तक्षेप के लिए मंत्री की मंगलवार को आलोचना की थी।

यह मामला तब सामने आया जब मलयालम समाचार चैनलों ने शशींद्रन और महिला के पिता के बीच टेलीफोन पर कथित बातचीत का प्रसारण किया जिसमें आपसी सहमति से मामला सुलझाने के लिए कहा गया। इसके बाद मंत्री ने मीडिया को बताया कि उन्होंने लड़की के पिता को फोन किया था लेकिन इसे पार्टी विवाद मामला समझकर सुलझाने के लिए किया था । उन्होंने दावा किया कि जब उन्हें पता चला कि यह यौन उत्पीड़न की कोशिश का मामला है तो उन्होंने फिर हस्तक्षेप नहीं किया।

हालांकि, कोल्लम की रहने वाली महिला ने मीडिया के सामने दावा किया कि मंत्री ने पहले दूसरे लोगों के जरिए अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप करके और फिर सीधे उसके पिता को फोन करके मामले में समझौता कराने की कोशिश की।

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