Republic Day: नजीर अहमद वानी मरणोपरांत अशोक्र चक्र से सम्मानित, जानिए उनकी बहादुरी की कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 26, 2019 12:41 PM2019-01-26T12:41:43+5:302019-01-26T12:41:43+5:30
अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। वानी अशोक चक्र पाने वाले पहले कश्मीरी हैं।
नयी दिल्ली, 26 जनवरीःजम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में पिछले वर्ष नवंबर में आतंकवादियों से लोहा लेते वक्त जान कुर्बान करने वाले लांस नायक नजीर अहमद को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को अशोक चक्र से सम्मानित किया। लांस नायक की पत्नी और मां ने गणतंत्र दिवस समारोह में यह सम्मान ग्रहण किया। अशोक चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। वानी अशोक चक्र पाने वाले पहले कश्मीरी हैं।
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में चेकी अश्मुजी के रहने वाले वानी आतंकवाद का रास्ता छोड़कर 2004 में भारतीय सेना की 162 इंफेंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) से जुड़े थे। शोपियां के बाटगुंड के निकट हीरापुर गांव में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में वह 25 नवंबर को शहीद हो गए थे।
सम्मान के वक्त प्रशंसात्मक उल्लेख में कहा गया कि वानी ने अभियान में दो आतंकवादियों को मार गिराया और गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद तीसरे आतंकवादी को घायल कर दिया।
नजीर अहमद वानी कुलगाम तहसील के चेकी अश्मूजी गांव के रहने वाले थे। उनके शहीद होने के बाद अब उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। नजीर ने करियर की शुरुआत वर्ष 2004 में टेरिटोरियल आर्मी से की थी। शहादत के वक्त नजीर अहमद वानी की उम्र महज 38 साल थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना में जुड़ने से पहले वो आतंकियों के ग्रुप में शामिल थे। लेकिन बाद में उन्होंने हिंसा से किनारा कर लिया और टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से उन्होंने करियर की शुरुआत की। जिसके बाद सेना में के द्वारा देश की सेवा करते हुए उन्होंने कई आतंकियों को मौत के घाट भी उतारा।
पीटीआई-भाषा से इनपुट्स