नयी दिल्ली, 29 मई वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि नील के पौधे से प्राप्त प्राकृतिक रंग मनुष्य की आंखों को हानिकारक लेजर विकिरण के प्रभाव से बचाने में समक्ष है। ये रंग पत्तियों के अर्क से प्राप्त किया जाता है।
विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इसका उपयोग संभावित हानिकारक विकिरण को कमजोर करने और लेजर के उपयोग वाले वातावरण में संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों एवं आखों को आकस्मिक नुकसान से बचाने के लिए ''ऑप्टिकल लिमिटर'' (प्रकाश को सीमित करने वाला) विकसित करने के लिए किया जा सकता है।
नील के पौधे से प्राप्त नीले रंग का उपयोग वर्षों से कपड़ों की रंगाई में किया जाता है। हालांकि, अब कृत्रिम नीले रंग भी उपलब्ध हैं लेकिन प्राकृतिक नीला रंग अभी भी उपयोग में लाया जाता है।
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट और बेंगलुरु के केनसरी स्कूल एंड कॉलेज के शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक नीले रंग के प्रकाशीय गुणों का अध्ययन किया और पाया कि यह मनुष्य की आंखों का हानिकारक लेजर विकिरणों के प्रभाव से बचाव कर सकता है।
भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग द्वारा वित्तपोषित इस शोध का प्रकाशन पत्रिका ''ऑप्टिकल मटीरियल'' में हुआ है।
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