एनएचएआई ने क्यों नहीं लगाए 10 लाख पेड़? आरटीआई में सनसनीखेज खुलासा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 7, 2021 03:41 PM2021-03-07T15:41:43+5:302021-03-07T15:43:03+5:30
नागपुर विभाग के अंतर्गत 9 जिलों में 2001 से सितंबर 2020 तक की अवधि में सड़क बनाते समय लगभग दो लाख पेड़ काटे गए.
निशांत वानखेड़े
नागपुरःअजनी में इंटर मॉडल स्टेशन प्रोजेक्ट साकार करते समय हजारों पेड़ों को काटे जाने के ऐवज में पांच गुना पेड़ लगाने का दावा करने वाले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दीया तले कितना अंधेरा है?
इसका खुलासा बीते 20 सालों के रिकॉर्ड से हो रहा है. प्राधिकरण के नागपुर विभाग के अंतर्गत 9 जिलों में 2001 से सितंबर 2020 तक की अवधि में सड़क बनाते समय लगभग दो लाख पेड़ काटे गए. इस तुलना में नियमानुसार 16 लाख से अधिक पेड़ लगाने की गारंटी देने वाले एनएचएआई ने 10 लाख 67 हजार 314 पेड़ ही लगाए.
इनमें से कितने पेड़ मौजूद हैं, इसका नागपुर को छोड़कर अन्य जगहों का रिकॉर्ड एनएचआई के पास नहीं है. पूर्व मानद वन्यजीव संरक्षक जयदीप दास को आरटीआई में मिली जानकारी से यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है. एनएचएआई ने 20 सालों में नागपुर विभाग में नागपुर-1 और 2 सहित वाशिम, नांदेड़, यवतमाल, औरंगाबाद, चंद्रपुर, धुले, जलगांव और अमरावती में 2455.52 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण कार्य किया.
इस कार्य के दौरान विभाग ने 1 लाख 84 हजार 317 पेड़ों को काटा. पर्यावरण विभाग के पुराने नियमानुसार राजमार्ग बनाते सामने पड़नेवाले पेड़ों की कटाई की तुलना में प्रति किमी 666 पेड़ (नए नियमानुसार 1000 पेड़) लगाना अनिवार्य है. इस हिसाब से एनएचएआई द्वारा 16 लाख 35 हजार 712 पेड़ लगाए जाने चाहिए थे. यह आश्वासन भी प्राधिकरण ने दिया था.
लेकिन हकीकत में केवल 5 लाख 68 हजार 398 पेड़ ही लगा गए. एक अन्य हकीकत यह है कि नागपुर क्षेत्र में 96292 पेड़ों का अस्तित्व कायम है जबकि अन्य क्षेत्रों में कितने पेड़ बचे हैं, यह जानकारी उपलब्ध न होने की बात एनएचएआई की ओर से कही गई है.
वृक्षारोपण कम, बचे हुए पेड़ अधिक कैसे? प्राप्त हुई एक हास्यास्पद जानकारी ने एनएचएआई की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा दिया है. इस विभाग ने वृक्षारोपण करने की तुलना में बचे हुए पेड़ अधिक दर्शाए हैं. छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर 80 किलोमीटर के महामार्ग के लिए 10701 पेड़ काटे गए. इसके बाद एनएचएआई ने 21560 पेड़ लगाने की जानकारी दी है.
लेकिन इनमें से बचे हुए पेड़ों की संख्या 24123 बताई गई है. एक अन्य उदाहरण बोरखेड़ी-जाम-वडनेर इस 57 किमी के महामार्ग के कार्य का है. यहां प्राधिकरण ने 21428 पेड़ लगाने की बात कही. लेकिन बचे हुए पेड़ों की संख्या 47098 बताई गई है. इससे लगाए गए पेड़ कम और इनमें से बचे हुए पेड़ों की संख्या अधिक होने को लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है.
एनएचएआई का दावा हास्यास्पद इंडियन रोड कांग्रेस के 2009 के नियमानुसार एनएचएआई द्वारा 10 लाख पेड़ नहीं लगाए जाने की सनसनीखेज जानकारी सामने आई है. लेकिन नए मार्गदर्शक तत्व के अनुसार प्रति किलोमीटर सड़क के एक किनारे पर 583 और दूसरे छोर पर इतने ही पेड़ सहित कुल 1166 पेड़ लगाना अनिवार्य है. इसे लेकरर अजनी में पेड़ काटने के बाद नियमानुसार पेड़ लगाने का प्राधिकरण का दावा हास्यास्पद प्रतीत हो रहा है. - जयदीप दास, पूर्व मानद वन्यजीव संरक्षक
बॉक्स क्षेत्र सड़क (किमी) कितने पेड़ काटे कितने पेड़ लगाए नियमानुसार वृक्षारोपण कमी
नागपुर-1 393.5 48376 82401 262071 179670
नागपुर-2 197.6 7131 131655 156454 24799
वाशिम 175 6715 0 116550 116550
नांदेड 323 18877 9235 215118 205883
यवतमाल 285 19416 124713 189810 65097
औरंगाबाद 255 17230 110102 170052 59950
धुले 929.2 11460 36300 194733 158433
जलगांव 157.75 13407 0 105063 105063
अमरावती 376.37 41705 49193 250660 201467
कुल 2455.52 184317 568398 1635712 1067314