1978 विधानसभा चुनाव में नागपुर ने कांग्रेस में फूंकी थी नई जान, इंदिरा गांधी को मिली थी बड़ी जीत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 29, 2019 08:54 AM2019-08-29T08:54:36+5:302019-08-29T08:54:36+5:30

आपातकाल के बाद हुए 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई. देश में जनता पार्टी की सरकार थी. कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा गांधी खुद हाशिये पर थीं, पार्टी भी बैकफुट पर थी.

Nagpur burnt new life in Congress in 1978 assembly elections, Indira Gandhi got a big win | 1978 विधानसभा चुनाव में नागपुर ने कांग्रेस में फूंकी थी नई जान, इंदिरा गांधी को मिली थी बड़ी जीत

1978 विधानसभा चुनाव में नागपुर ने कांग्रेस में फूंकी थी नई जान, इंदिरा गांधी को मिली थी बड़ी जीत

Highlightsपूर्व नागपुर में कांग्रेस की टिकट पर बनवारीलाल पुरोहित ने कुल 90608 वोटों में से 56752 वोट लेकर एकतरफा जीत दर्ज की.पहली बार अस्तित्व में आए इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के गोविंदराव वंजारी ने जीत दर्ज की.

साल 1978 के विधानसभा चुनाव अपने-आप में अनूठे साबित हुए. आपातकाल के बाद हुए 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई. देश में जनता पार्टी की सरकार थी. कांग्रेस की दिग्गज नेता इंदिरा गांधी खुद हाशिये पर थीं, पार्टी भी बैकफुट पर थी.

इस पार्श्वभूमि में हुए विधानसभा चुनाव में नागपुर जिले ने खुलकर इंदिरा गांधी का साथ दिया. इंदिरा कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की. पार्टी के विभाजित धड़े राष्ट्रीय कांग्रेस को कहीं भी जनता का साथ नहीं मिला. माना जाता है कि जनता के इसी साथ ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी. इसकी परिणति 1980 के चुनाव में केंद्र की सत्ता वापसी से हुई.

उत्तर नागपुर में खोरिपा के डोंगरे पड़े भारी

अनुसूचित जाति के आरक्षित उत्तर नागपुर सीट से सूर्यकांत डोंगरे ने जीत दर्ज कर संकेत दिया कि खोरिपा आंबेडकरी अनुयायियों में पैठ बना चुकी है. डोंगरे ने 34598 वोट लेकर कांग्रेस के बालकृष्ण वासनिक को धूल जटाई. वासनिक ने हालांकि  32 हजार से अधिक वोट लिए. भाकपा के काशीनाथ गजभिये और कांग्रेस के विभाजित धड़े के उम्मीदवार गणवीर ही एक हजार का आंकड़ा पार कर सके.

पूर्व में पुरोहित का डंका

पूर्व नागपुर में कांग्रेस की टिकट पर बनवारीलाल पुरोहित ने कुल 90608 वोटों में से 56752 वोट लेकर एकतरफा जीत दर्ज की. दूसरा स्थान निर्दलीय प्रभाकर लेंडे ने हासिल किया, जिन्हें 12026 वोट प्राप्त हुए. केंद्र में सत्तारूढ़ जनता पार्टी के प्रत्याशी उमाशंकर पाठक की यात्रा 11118 वोट पर ही थम गई. राष्ट्रीय कांग्रेस के बबनराव नाईक 5236 वोट ही हासिल कर सके.

दक्षिण के पहले विधायक बने वंजारी

पहली बार अस्तित्व में आए इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के गोविंदराव वंजारी ने जीत दर्ज की. कुल 80535 वैध वोटों में से 45025 वोट लेकर जीत दर्ज की. खोरिपा के रामानंद ढेपे 27268 वोटों के साथ 15 उम्मीदवारों में दूसरे स्थान पर रहे. पूर्व विधायक मदनगोपाल अग्रवाल राष्ट्री कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में केवल 2809 वोट ही हासिल कर सके. अन्य 12 उम्मीदवार चुनाव में कोई छाप नहीं छोड़ सके.

मध्य फिर कांग्रेस के साथ

मध्य नागपुर की जनता ने एक बार फिर कांग्रेस का साथ दिया. कांग्रेस ने यहां भाऊसाहब सुर्वे को मौका दिया जिन्होंने 30650 वोट लेकर जीत दर्ज की. हालांकि जनता पार्टी के राम हेडाऊ ने 27 हजार से अधिक वोट लेकर उन्हें कड़ी टक्कर दी. मुस्लिम लीग के शमीम सादिक मो. अलीमुद्दीन तीसरे स्थान पर रहे.

पश्चिम: बलराज, सुकलीकर के बीच उभरे मुलक

पश्चिम नागपुर कांग्रेस की सुशीला बलराज एवं जनसंघ की सुमतिताई सुकलीकर के बीच संघर्ष के लिए पहचाना जाता था. लगातार तीन बार बलराज ने जीत दर्ज की. लेकिन इस चुनाव में फिजां बदल गई.  निवर्तमान विधायक सुशीला बलराज इंदिरा गांधी का साथ छोड़ चुकी थीं. राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रत्याशी के रूप में वे केवल 5072 वोट ही ले सकीं जबकि इंदिरा कांग्रेस के भाऊ मुलक ने 45 हजार से अधिक वोट लेकर यह सीट एक बार फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी. जनसंघ की सुमतिताई सुकलीकर इस बार जनता पार्टी की टिकट पर लड़ीं. 33531 वोटों के साथ वे इस बार भी दूसरे स्थान पर रहीं.

ग्रामीण में भी इंदिरा का जोर

शहर की भांति जिले के  ग्रामीण अंचल ने भी इंदिरा गांधी की कांग्रेस का भरपूर साथ दिया. पार्टी ने एक सीट को छोड़ सभी पर जीत का परचम लहराया. हालांकि कलमेश्वर में कांग्रेस ने फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ गठजोड़ किया था. फॉरवर्ड ब्लॉक ने यहां से भगवंतराव गायक वाड़ को टिकट दी जो पिछले चुनाव में पार्टी के मध्य नागपुर से प्रत्याशी थे. 

उन्हें कुल पड़े 79828 वोटों में से 55201 वोट मिले. दूसरा स्थान जनता पार्टी के चंद्रशेखर गायक वाड़ को मिला जिन्हें करीब 12 हजार वोट नसीब  हुए. काटोल में कांग्रेस के  मुकुंदराव मानकर ने 36800 वोट लेकर जीत दर्ज की. जनता पार्टी के मोतीराम पावड़े छह उम्मीदवारों के बीच हुए संघर्ष में दूसरे स्थान पर रहे. इसी प्रकार सावनेर से कांग्रेस के  राम नाईक  37 हजार से अधिक वोट हासिल कर विजयी रहे. जनता पार्टी के  शंक रराव फ त्ते 24 हजार वोटों के  साथ दूसरे स्थान पर रहे. राष्ट्रीय कांग्रेस जिले की केवल इसी सीट पर सम्मानजनक वोट हासिल कर सकी. 

पार्टी के उम्मीदवार छत्रपाल के दार 13 हजार से अधिक वोट प्राप्त क रने में सफ ल रहे. रामटेक  में 28535 वोटों के  साथ कांग्रेस के  गुंडेराव महाजन विजयी रहे. दूसरे स्थान पर रहे जनता पार्टी के पांडुरंग हजारे ने 23350 वोट हासिल क र उन्हें क ड़ी टक्क र देने का प्रयास कि या. उमरेड में कांग्रेस ने पुरुषोत्तम डेकाटेको मौका दिया जिन्होंने भारी जीत दर्ज की. कुल पड़े 79772 वोट में से 43271 वोट  लेक र प्रचंड जीत दर्ज की. खोरिपा के शंक रराव बांते दूसरे स्थान पर रहे.

आश्चर्य ही आश्चर्य

2019 में पाठक 1977 के चुनाव में हुए तालमेलों को जानकार आश्चर्य में पड़ जाएंगे. इंदिरा गांधी ने तबजांबुवंतराव धोटे के  फारवर्ड ब्लॉक  के  साथ गठजोड़ कि या था. तब कांग्रेस की टिकट पर पूर्व नागपुर से जीत दर्ज करने वाले बनवारीलाल पुरोहित (आज तमिलनाडु के राज्यपाल)  हकीकत में धोटे के  साथी थे और विदर्भवादी के रूप में पहचाने जाते थे और फ फारवर्ड ब्लॉक से जुड़े थे. इसी प्रकार क लमेश्वर से जीते फारवर्ड ब्लॉक के भगवंतराव गायकवाड़ पंजे के चुनाव चिह्न पर जीते थे.

खुद इंदिरा गांधी फारवर्ड ब्लॉक  का प्रचार क रने क लमेश्वर आई थीं. बताया जाता है कि तब नागपुर से क लमेश्वर तक के मार्ग के दोनों ओर भारी भीड़ जमा थी. आज भाजपा-शिवसेना युति के साथ रिपा के गठजोड़ को जिस भीमशक्ति-शिवशक्ति के  मेल के  रू प में देखा जाता है, उसके बीज 1978 में ही पड़ गए थे. तब जनसंघ (आज की भाजपा) ने खोरिपा के साथ गठजोड़ किया था. उत्तर नागपुर से जीते खोरिपा के  सूर्यकांत डोंगरे को जनसंघ का साथ मिला था जबकि  जनसंघ की रजनीराय कामठी से खोरिपा की उम्मीदवार थीं. कांग्रेस में भी भारी उलटफेर हुई थी. नासिक राव तिरपुड़े ने इंदिरा गांधी का साथ दिया. जीत के बाद वे उपमुख्यमंत्री भी बने जबकि नरेंद्र तिड़के राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ हो लिए.

कामठी: भोसले ने खोरिपा की रजनी राय को दी पटखनी

कामठी विधानसभा क्षेत्र आज की भांति रामटेक नहीं बल्कि नागपुर संसदीय सीट का हिस्सा था. कांग्रेस ने तेजसिंह राजे भोसले को टिकट दी. 79081 वोटों में से 41589 वोट लेकर उन्होंने एकतरफा जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर खोरिपा की रजनी राय रहीं जिन्हें 16090 वोट हासिल हुए. अन्य 6 उम्मीदवारों में भाकपा के मनोहर देशकर, रिपा के नारायणराव कुंभारे और आजादी के संग्राम के योद्धा निर्दलीय मगनलाल बागड़ी ही जमानत बचा पाए.

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