केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों पर मेरी टिप्पणी से आचार संहिता, आईपीसी का उल्लंघन नहीं : ममता
By भाषा | Published: April 10, 2021 07:31 PM2021-04-10T19:31:29+5:302021-04-10T19:31:29+5:30
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को लेकर अपनी टिप्पणियों का बचाव करते हुए माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निर्वाचन आयोग को शनिवार को बताया कि वह सीएपीएफ का काफी सम्मान करती हैं लेकिन उन पर मतदाताओं को डराने और एक खास दल के पक्ष में मतदान के लिये मतदाताओं को प्रभावित करने के गंभीर आरोप हैं।
आयोग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी नोटिस का जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने आरोपों का खंडन किया। आयोग ने ममता से राज्य में चुनावी ड्यूटी पर तैनात सीएपीएफ के खिलाफ उनके द्वारा दिये गए “प्रथम दृष्टया पूरी तरह गलत, भड़काऊ और असंयमित बयानों” पर स्पष्टीकरण मांगा था।
बनर्जी ने चुनावी निगरानीकर्ता से अपना नोटिस रद्द करने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि उन्होंने आदर्श आचार संहिता या भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन नहीं किया है।
उन्होंने दावा किया कि एक लड़की के साथ कथित तौर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक अज्ञात कर्मी द्वारा ताराकेश्वर पुलिस थाना क्षेत्र के रामनगर में छह अप्रैल को छेड़छाड़ की गई थी और पुलिस से मामले की शिकायत की गई जिस पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस ने इस बारे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि अब तक कोई मूर्त कार्रवाई नहीं हुई, न ही निर्वाचन आयोग द्वारा केंद्रीय बलों को इस संदर्भ में कोई परामर्श या निर्देश जारी किया गया।
उन्होंने अपने जवाब में कहा, “केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिये मेरे मन में बहुत सम्मान है और देश की रक्षा व सुरक्षा में उनके योगदान की सराहना व प्रशंसा करती हूं।”
माना जा रहा है कि बनर्जी ने अपने जवाब में आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में शुरुआती तीन चरणों के चुनाव के दौरान सीएपीएफ द्वारा बल का इस्तेमाल कर मतदाताओं को डराए जाने व एक दल विशेष के पक्ष में मतदान के लिये मतदाताओं को प्रभावित करने के संदर्भ में गंभीर आरोप सामने आए हैं।
उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने भी कई शिकायतें दर्ज कराई हैं लेकिन महज कुछ का ही निस्तारण हुआ।
लोगों को केंद्रीय बलों के खिलाफ हिंसा के लिए नहीं उकसाने के अपने दावे की पुष्टि के लिये बनर्जी ने निर्वाचन आयोग को जवाब में अपने भाषण के कुछ अंश भी पेश किये।
निर्वाचन आयोग को दिये बयान में उल्लेखित उनके भाषण के अंश के मुताबिक, “मैं आपको बताऊं महिलाओं, आपका एक समूह जाए और उनका घेराव करे जबकि एक अन्य समूह मतदान के लिये जाए। एक समूह उनका घेराव करे और दूसरा समूह मतदान के लिये जाए।”
उन्होंने कहा, “अपना मत बर्बाद मत कीजिए। अगर आप सिर्फ उन्हें घेरने में उलझी रहेंगी तो वे खुश होंगे कि आप मत नहीं डाल सके। यह उनकी योजना है। यह भाजपा की योजना है।”
बयान के अनुसार “और आपकी योजना होगी कि अगर वे आपको डराने के लिये आपके गांव आएं तो एक तरफ तो आपको डरना नहीं है और दूसरी तरफ आप सिर्फ उनसे बात कीजिए। उनसे बात करना उन्हें रोकने के बराबर होगा। आपको शाब्दिक अर्थों में उनका घेराव नहीं करना है।”
बनर्जी ने कहा कि भाषण में उन्होंने मतदाताओं और खास तौर पर महिला मतदाताओं का आह्वान किया था कि वे “वे घेराव कर लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करें अगर कोई (सीएपीएफ समेत) उनके मताधिकार की राह में कोई अड़चन पैदा करता है तो।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।