BHU के मुस्लिम संस्कृत प्रोफेसर ने बीएचयू के ही दूसरे संकायों में नौकरी के लिए किया आवेदन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 26, 2019 07:43 AM2019-11-26T07:43:11+5:302019-11-26T07:43:11+5:30
फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध करने वाले एसवीडीवी के छात्रों ने कई अवसरों पर कहा था कि उन्हें सनातन धर्म और कर्मकांड के बारे में सिखाने के लिए एक मुस्लिम फिट नहीं है, क्योंकि वह उस संस्कृति से जुड़ा नहीं है।
BHU के संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति के मामले में बढ़ते विवाद को देख मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान ने खुद ही बीएचयू के दूसरे संकायों में नौकरी के लिए आवेदन कर दिया है। दरअसल, फिरोज की नियुक्ति के बाद से छात्र विरोध कर रहे थे, जिसके बाद शायद इन मामलों से खुद को दूर करने के लिए ही फिरोज खान ने यह कदम उठाया है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध करने वाले एसवीडीवी के छात्रों ने कई अवसरों पर कहा था कि उन्हें सनातन धर्म और कर्मकांड के बारे में सिखाने के लिए एक मुस्लिम फिट नहीं है, क्योंकि वह उस संस्कृति से जुड़ा नहीं है। गौरतलब है कि बढ़ते विरोध को देखते हुए डॉक्टर फिरोज़ खान ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स के संस्कृत विभाग में शिक्षण पदों के लिए आवेदन किया है। ऐसे में साफ है कि वह इस गतिरोध को समाप्त करना चाहते हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि खान 7 नवंबर को एसवीडीवी संकाय में शामिल हुए थे, लेकिन एक भी कक्षा आयोजित नहीं कर सके क्योंकि छात्रों ने धरना दिया। इसके बाद पिछले हफ्ते, वह छुट्टी पर चले गए और राजस्थान में अपने घर लौट आए।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के एक लिखित आश्वासन के बाद शुक्रवार को धरना पर बैठने के विरोध में बोलने वाले लोगों के बारे में छात्रों ने कहा कि सही समय पर उनके सवालों का जवाब मिल जाएगा। हालांकि, छात्रों ने कहा कि वे कक्षाओं का बहिष्कार जारी रखेंगे और अगर 10 दिनों में बीएचयू प्रशासन उनके सवालों का जवाब देने में विफल रहता है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, “फिरोज खान को आयुर्वेद संकाय में पढ़ाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है क्योंकि यह उनकी रुचि के क्षेत्र और उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र से भटकने जैसा होगा। इसके अलावा, उन्हें जिन पुस्तकों को पढ़ाना होगा, वे पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि अन्य विभाग की तुलना में आयुर्वेद में संस्कृत साहित्य उतना समृद्ध नहीं है। हालांकि, अगर उन्हें कला संकाय में चुना जाता है, तो वह एसवीडीवी से इस्तीफा दे देंगे, ”
आयुर्वेद संकाय के संहिता और संस्कृत विभाग आयुर्वेद के शास्त्रीय ग्रंथों (संहिता) का अध्ययन, उनके वैज्ञानिक अन्वेषण और सत्यापन से संबंधित हैं।