मॉब लिंचिंग, खाप फरमानों और धार्मिक कारणों से हुई हत्याओं के आंकड़े NCRB ने नहीं किए प्रकाशित

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: October 22, 2019 10:36 AM2019-10-22T10:36:22+5:302019-10-22T10:39:56+5:30

सूत्रों ने कहा कि यह बेहद हैरान करने वाला है कि आंकड़े जुटाए जाने पर भी प्रकाशित नहीं किए गए। डेटा संग्रह से जुड़े एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि केवल प्रमुख अधिकारी जानते हैं कि डेटा प्रकाशित क्यों नहीं किया गया।

Murder due to Mob Lynching, Khap & Religious reasons Data have not been published by NCRB | मॉब लिंचिंग, खाप फरमानों और धार्मिक कारणों से हुई हत्याओं के आंकड़े NCRB ने नहीं किए प्रकाशित

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsराष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने सोमवार (21 अक्टूबर) को देशभर में हुए आपराधों के ताजा आंकड़े जारी किए लेकिन मॉब लिंचिंग, खाप फरमानों और धार्मिक कारणों से हुई हत्यओं के अपराधों को लेकर ब्यूरो ने डेटा जारी नहीं किया है।ब्यूरो ने एक साल की देरी से अपराधों को लेकर डेटा जारी किया है। नई रिपोर्ट में ज्यादातर 2016 संस्करण के पैटर्न का पालन किया गया है। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने सोमवार (21 अक्टूबर) को देशभर में हुए आपराधों के ताजा आंकड़े जारी किए लेकिन मॉब लिंचिंग, खाप फरमानों और धार्मिक कारणों से हुई हत्यओं के अपराधों को लेकर ब्यूरो ने डेटा जारी नहीं किया है। ब्यूरो ने एक साल की देरी से अपराधों को लेकर डेटा जारी किया है। 

नई रिपोर्ट में ज्यादातर 2016 संस्करण के पैटर्न का पालन किया गया है। सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने एनसीआरबी के पूर्व निदेशक इश कुमार की अगुवाई में बड़े पैमाने पर डेटा सुधार की कवायद शुरू की थी। संशोधित प्रोफॉर्मा में भीड़ और धार्मिक कारणों से हुई हत्या के लिए उप-श्रेणिया जोड़ी गई थीं। सूत्रों ने कहा कि यह बेहद हैरान करने वाला है कि आंकड़े जुटाए जाने पर भी प्रकाशित नहीं किए गए। डेटा संग्रह से जुड़े एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि केवल प्रमुख अधिकारी जानते हैं कि डेटा प्रकाशित क्यों नहीं किया गया।

अधिकारी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर डेटा इकट्ठा करने का फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस डेटा संग्रह से सरकार को अपराधों से निपटने के लिए नीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिलती। अधिकारी ने कहा कि लिंचिंग कई कारणों से होती है जिसमें चोरी का संदेह, बच्चा चोरी, पशु तस्करी या सांप्रदायिक कारण शामिल हैं। 

एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 2016 की तुलना में राज्य में अपराधों की घटनाओं में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस श्रेणी में राज द्रोह, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराध शामिल हैं। डेटा से पता चलता है कि 2016 में 6986 अपराधों के मुकाबले 2017 में 9013 ऐसे अपराध हुए। 

देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार तीसरे साल बढ़ा 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुयी है। एनसीआरबी के आंकड़े सोमवार को जारी किए गए। 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे।

महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। आंकड़े के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 30,992, मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 मामले दर्ज किए गए।

अपहरण की घटनाएं बढ़ी, हत्या के मामले में कमी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नए आंकड़े के मुताबिक 2017 में देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। इस तरह 2016 में 48 लाख दर्ज प्राथमिकी की तुलना में 2017 में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। करीब एक साल की देरी के बाद 2017 के लिए वार्षिक अपराध का आंकड़ा जारी किया गया है ।

वर्ष 2017 में हत्या के मामलों में 5.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में हत्या के 28653 मामले दर्ज किए गए जबकि 2016 में 30450 मामले सामने आए थे। इसमें कहा गया कि हत्या के अधिकतर मामले में ‘विवाद’ (7898) एक बड़ा कारण था। इसके बाद ‘निजी रंजिश’ या ‘दुश्मनी’ (4660) और ‘फायदे’ (2103) के लिए भी हत्याएं हुईं। वर्ष 2017 में अपहरण के मामलों में नौ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी। उससे पिछले साल 88008 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2017 में अपहरण के 95893 मामले दर्ज किए गए थे । 

(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)

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