'किताब उत्सव' के आखिरी दिन जावेद अख़्तर, रंजीत कपूर और जैरी पिंटो ने शिरकत की, बढ़ रही है उर्दू से मोहब्बत करने वालों की तादाद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 23, 2023 09:50 PM2023-03-23T21:50:33+5:302023-03-23T21:52:48+5:30

जैरी पिंटो के हिंदी में अनूदित उपन्यास 'माहिम में क़त्ल' और सारंग उपाध्याय के उपन्यास 'सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी' का लोकार्पण हुआ।

mumbai Kitab Utsav rajkamal Javed Akhtar, Ranjit Kapoor Jerry Pinto participated last day number of people love Urdu is increasing | 'किताब उत्सव' के आखिरी दिन जावेद अख़्तर, रंजीत कपूर और जैरी पिंटो ने शिरकत की, बढ़ रही है उर्दू से मोहब्बत करने वालों की तादाद

जावेद अख़्तर ने जाँ निसार अख़्तर द्वारा संपादित पुस्तक 'हिन्दोस्तां हमारा' के नए संस्करण का लोकार्पण किया।

Highlightsपुस्तक प्रदर्शनी में आज दिनभर पुस्तकप्रेमियों की चहल-पहल बनी रही।पाठकों ने 'आएँ खेलें पाएँ छूट' और 'किताब संग दोस्ती' गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।जावेद अख़्तर ने जाँ निसार अख़्तर द्वारा संपादित पुस्तक 'हिन्दोस्तां हमारा' के नए संस्करण का लोकार्पण किया।

मुम्बईः राजकमल प्रकाशन द्वारा वर्ली के नेहरू सेंटर में आयोजित 'किताब उत्सव' के आखिरी दिन जावेद अख़्तर, रंजीत कपूर, सीमा कपूर, जैरी पिंटो, युनूस खान, शान्ता गोखले, अतुल तिवारी, अनुराग चतुर्वेदी आदि ने शिरकत की।

 

कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में आज वक्ताओं ने सिनेमा, साहित्य और संस्कृति से जुड़े कई विषयों पर बातचीत की साथ ही दो नई पुस्तकों जैरी पिंटो के हिंदी में अनूदित उपन्यास 'माहिम में क़त्ल' और सारंग उपाध्याय के उपन्यास 'सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी' का लोकार्पण हुआ। 'किताब उत्सव' में लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में आज दिनभर पुस्तकप्रेमियों की चहल-पहल बनी रही।

इस दौरान पाठकों ने 'आएँ खेलें पाएँ छूट' और 'किताब संग दोस्ती' गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनमें भाग लेने वाले पाठकों को पुस्तकों की खरीद पर अतिरिक्त छूट दी जा रही है। कार्यक्रम के पहले सत्र में आज 'नाटक कंपनी से सिनेमा तक' विषय पर शीर्षस्थ रंग-निर्देशक रंजीत कपूर और सीमा कपूर से सुरेश शर्मा ने बातचीत की।

इस सत्र में रंजीत कपूर ने थिएटर में आने से पहले और बाद के अपने कई अनुभव और किस्से श्रोताओं को सुनाए। बातचीत में उन्होंने कहा कि "साहित्य की यह दुनिया मेरे लिए रूहानी खुराक है। उसके बिना मैं जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता। मैं आज भी कुछ पढ़े या सुने बिना सो नहीं पाता।"

वहीं सीमा कपूर ने अपने अनुभवों पर बात करते हुए कहा कि "हम सब बहन-भाइयों का बचपन एक ऐसे पारिवारिक माहौल और ऐसे समाज में गुजरा है जहाँ नाटक और थिएटर जैसी चीजों को हीनता की दृष्टि से देखा जाता था।" आगे उन्होंने बताया कि किस तरह उन चारों भाई-बहन ने थिएटर से जुड़कर नाटक की दुनिया में अपनी पहचान कायम की।

अगले सत्र में अंग्रेजी भाषा की मशहूर लेखक जैरी पिंटो के हिंदी में अनूदित उपन्यास 'माहिम में कत्ल' का लोकार्पण शान्ता गोखले ने किया। इसके बाद रेडियो उद्घोषक युनूस खान ने जैरी पिंटो से उनके इस उपन्यास पर बातचीत की। इस दौरान युनूस खान ने कहा कि "मुम्बई महानगरी की तह के नीचे जो कुछ घटित होता है और सबकी नज़रों में नहीं आ पाता, यह उपन्यास उसकी कहानी है।"

आगे उन्होंने इस उपन्यास को लिखने के अनुभवों और उसके कथानक पर जैरी पिंटो से लंबी बातचीत की। साथ ही जैरी पिंटो ने पितृसत्ता, समलैंगिकता, सेक्सवर्क, न्याय व्यवस्था और आपराधिक प्रवृत्ति पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि "पितृसत्ता एक ऐसी आवाज है जो हमें हर बार कुछ करने, कहीं जाने से या कुछ बोलने से रोकती रहती है। हमें टोकती रहती है।" 

इसके बाद एक अन्य सत्र में सारंग उपाध्याय के उपन्यास 'सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी' का लोकार्पण अनुराग चतुर्वेदी ने किया। लोकार्पण के बाद उपन्यास पर बातचीत करते हुए सारंग उपाध्याय ने कहा कि "यह उपन्यास मुम्बई में रहने वाले मछुआरों के उस बड़े वर्ग के जीवन पर बात करता है जिस पर आमतौर पर हमारा ध्यान कम जाता है।

इस उपन्यास में अतीत और वर्तमान दोनों समय की घटनाओं का जिक्र आता है। इसमें आतंकी हमलों से बार-बार छलनी हो रहे मुम्बई शहर का भी वर्णन आता है।" आज के कार्यक्रम के आखिरी सत्र में जावेद अख़्तर ने जाँ निसार अख़्तर द्वारा संपादित पुस्तक 'हिन्दोस्तां हमारा' के नए संस्करण का लोकार्पण किया। इसके बाद जावेद अख़्तर से अतुल तिवारी ने बातचीत की।

इस दौरान जावेद अख़्तर ने कहा कि "आजकल उर्दू पढ़ने वाले लोग कम हो रहे हैं लेकिन उसे सुनने वाले और उससे मोहब्बत करने वाले लोग बढ़ रहे हैं। वर्तमान में उर्दू को देवनागरी में सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है, इतना इसे पहले कभी नहीं पढ़ा गया।" आगे उन्होंने कहा कि "आजकल हम बोलने में जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वो न तो हिंदी है और न ही उर्दू है, वह हिंदुस्तानी भाषा है और वही हिंदुस्तान की भाषा है।" 'किताब उत्सव' के आखिरी दिन राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने मुम्बई 'किताब उत्सव' में आने वाले सभी पुस्तकप्रेमियों का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि "28 फरवरी 1947 को राजकमल प्रकाशन की स्थापना हुई थी। पिछले साल राजकमल के 75वें वर्ष में प्रवेश के साथ ही हमने देश के अलग-अलग शहरों में 'किताब उत्सव' का आयोजन शुरू किया। भोपाल से शुरू हुई यह ऐतिहासिक साहित्यिक यात्रा बनारस, पटना और चंडीगढ़ होते हुए अब मुम्बई तक पहुँची है।

मुंबई में होना एक ऐसे शहर में होना है जिसने हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में अपार योगदान दिया है। यह एक ऐसा शहर है जो सिनेमा और साहित्य के रिश्ते को हमेशा नई तरह से रचता रहता है। इसलिए यहाँ पर होना एक अलग और खुशी वाला अनुभव है।

'किताब उत्सव' के आयोजन में मुंबई के लेखकों, पाठकों और संस्कृतिकर्मियों ने जिस तरह से भागीदारी की है वह उत्साहित करने वाली है। हम इस रूप में यहाँ पहली बार आए हैं और आगे हमारी कोशिश रहेगी कि हम बार-बार यहाँ पर आएँ। इस यात्रा में हमें अब तक हिंदी के पाठकों से बहुत प्रेम और सहयोग मिला। आगे भी हमारी यह यात्रा जारी रहेगी। आप सभी पुस्तकप्रेमियों का साथ इसी तरह बना रहे, यही अपेक्षा है।"

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