लोकमत के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा की किताब ‘माझी भिंत’ का राजभवन में गरिमापूर्ण विमोचन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 9, 2020 10:13 PM2020-11-09T22:13:47+5:302020-11-10T14:58:54+5:30
राजनीतिक करियर और सामाजिक जीवन के सफर से समृद्ध अपने अनुभव-विश्व के द्वार दर्डा ने इस पुस्तक के जरिये खोले हैं. वर्तमान कितना ही जटिल और संघर्षपूर्ण हो, फिर भी भविष्य हमारा ही है.... यह दिलासा दिलाने वाले कई किस्सों का वर्णन 'माझी भिंत'में है.
मुंबई: महाराष्ट्र में आठ शतक पहले संत ज्ञानेश्वर महाराज द्वारा योग की ताकत के बूते दीवार को चलाने का उल्लेख मिलता है. सोशल मीडिया के आज के युग में राजेंद्र दर्डा को भी अपनी वर्चअल दीवार को यूं ही गतिमान रखना चाहिए. उनकी किताब ‘माझी भिंत’ संत परंपरा की वाहक है.
यह प्रतिपादन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने किया. लोकमत समूह के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा की किताब ‘माझी भिंत’ का गरिमापूर्ण विमोचन राजभवन के जलविहार सभागृह में राज्यपाल कोश्यारी के हाथों हुआ. विमोचन समारोह में लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण, राजस्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहब थोरात, राकांपा के प्रदेशाध्यक्ष व जल संपदा मंत्री जयंत पाटिल मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे.
राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र ज्ञानदान की भूमि
लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा व किताब के लेखक राजेंद्र दर्डा मंच पर उपस्थित थे. इस भव्य समारोह में राजनीतिज्ञ, उद्योगपति, वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस अधिकारी, डॉक्टर्स और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज मौजूद थे. इस किताब में राजेंद्र दर्डा के फेसबुक पेज की टिप्पणियों, निरीक्षणों, त्वरित लेख, कविता व विश्लेषणों का संकलन किया गया है. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र ज्ञानदान की भूमि है. यहां की भूमि में सबको साथ लेकर चलने की खासियत है.
संत ज्ञानेश्वर ने एक वक्त दीवार को चलाया था और भैंसे के मुंह के वेद बुलवाया था. अपनी सकारात्मक ऊर्जा समाज को लौटाना यहां की गौरवशाली परंपरा रही है. इसी परंपरा का प्रतीक है राजेंद्र दर्डा कि किताब ‘माझी भिंत.’ मधुर मराठी भाषा में लिखी गई किताब में राजेंद्र दर्डा ने बीच-बीच में हिंदी भाषा का रोचक तड़का लगाया है, जिसकी वजह से ‘माझी भिंत’ बेहद पठनीय हो गई है.
राज्यपाल ने इसे सोने पर सुहागा करार दिया. राज्यपाल ने कहा कि विख्यात कवि दुष्यंत कुमार की काव्य पंक्तियों का संदर्भ आज देशभर के नेता संसद में देते हैं. राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी समाज में सकारात्मक बढ़ाने के लिए भविष्य में इस किताब के संदर्भों का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही यह हर उम्र के लोगों के लिए भी प्रेरणादायी साबित होगी. आभार प्रदर्शन लोकमत मीडिया के प्रबंध संचालक देवेंद्र दर्डा ने किया. सूत्र संचालन लोकमत के वरिष्ठ सहायक संपादक अतुल कुलकर्णी ने किया.
माझी ‘भिंत’ भरोसा दिलाती है, कल हमारा है.
भले ही वर्तमान उलझनें और समस्याएं पैदा करने वाला है, लेकिन माझी ‘भिंत’ में ऐसी अनेक बातों को जिक्र किया गया है, जो ये भरोसा दिलाती हैं कि आने वाला दिन हमारा ही है. तेजी से दूषित होते जा रहे सोशल मीडिया का सकारात्मक और शुभ विचारों को फैलाने के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके कई उदाहरण इस अनोखी पुस्तक में मिलेंगे.यह पुस्तक हमें संदेश देती है कि फेसबुक वॉल (दीवार) पर द्वेष, बुराई, विवाद की ही नहीं, बल्कि प्रेम, स्नेह की गंगा भी बहाई जा सकती है. मराठी भाषा में अनोखे विचारों को इस तरह संकलित करने वाला संभवत: यह पहला प्रयोग है.
समारोह में गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति: राजभवन में आयोजित इस समारोह में मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, मुंबई मनपा आयुक्त आई.एस.चहल, इंडियन एक्सप्रेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक गोयनका, उपलोकायुक्त संजय भाटिया, पुलिस सह आयुक्त विश्वास नांगरे-पाटिल, पुलिस सह आयुक्त मिलिंद भारंबे, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अतिरिक्त महासंचालक विनय चौबे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) यशस्वी यादव, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण मुंबई) सत्यनारायण, अतिरिक्त आयुक्त (पश्चिम विभाग) संदीप कर्णिक, सूचना और जनसंपर्क विभाग के सचिव व महासंचालक दिलीप पांढरपट्टे, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव जलोटा उपस्थित थे.
साथ ही मराठी भाषा सचिव प्राजक्ता लवंगारे-वर्मा, अमृता फडणवीस, विधायक अमर राजूरकर, भाजपा नेता किरीट भन्साली, पूर्व पुलिस अधिकारी पी.के. जैन, सीमा शुल्क विभाग के सहायक आयुक्त रॉबिन सिंह, सहायक अधीक्षक सुधीर यादव, युगांडा के महावाणिज्य दूत मधुसूदन अग्रवाल, रमेश अग्रवाल, रवांडा के महावाणिज्य दूत प्रकाश जैन, चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. तात्याराव लहाने, ब्राइट आउटडोर के रमेश लखानी, लायंस इंटरनेशनल के राजू मनवानी, प्रसिद्ध गायक रूपकुमार राठौड़ और उनकी पत्नी सोनाली राठौड़, डॉ. प्रतीत समदानी, शाह एसोसिएट्स के जयेंद्र शाह आदि ने उपस्थिति दर्ज कराई.
समारोह के माध्यम से राज्यपाल से संवाद साधने का मौका मिला: चव्हाण
समारोह में इस बात को लेकर उत्सुकता रही कि राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी और सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर कोई टिप्पणी तो नहीं की जाएगी. हालांकि लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि समारोह के माध्यम से हमें राज्यपाल महोदय से संवाद साधने का मौका मिला है. राज्यपाल से चर्चा हुई है, लेकिन क्या बात हुई, इसका खुलासा मैं यहां नहीं करूंगा.
राज्यपाल कोश्यारी और लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन विजय दर्डा के बीच स्नेहपूर्ण संबंधों का जिक्र दोनों ने अपने भाषण में किया. इसे लेकर जयंत पाटिल ने मुस्कुराते हुए कहा कि राज्य में सरकार चलाते हुए हमें दिल्ली से प्रफुल्ल भाई पटेल की सहायता मिलती है. उसी तरह राज्यपाल महोदय द्वारा उठाए गए सवालों के समाधान के लिए विजय बाबू की मदद मिले.
राजेंद्र दर्डा का मनोगत
फेसबुक की भिंत पर जब
लिखी जाती है दिल की बात..
एक जमाना वह भी था
जब दीवारों पर लिखते थे इन्कलाब
एक जमाना यह भी है,
दीवारों पर होती है दिल की बात ..
कुछ इन शब्दों में लोकमत समूह के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा ने उनकी फेसबुक की भिंत का अंतर्मन आज राजभवन में दिग्गजों की मौजूदगी में प्रस्तुत किया. उन्होंने अपने मनोगत में कहा, ‘‘इस अनोखी पुस्तक ‘माझी भिंत’ के विमोचन के रूप में यह अवसर सामने आया है. इस मौके पर मैंने अनुभव किया कि आमतौर पर द्वेष, दूरियां और ईष्र्या की वजह बनने वाले सामाजिक माध्यम का उपयोग दिलों को जोड़ने के लिए, गुम हो चुकी कड़ियों को खोजने और जीवन के सफर में पाए संचित को बांटने के लिए किया जाए, तो इसी भिंत (दीवार) पर स्नेह के कितने सुंदर बाग खिलाए जा सकते हैं.’’ उन्होंने जब इस पुस्तक की कुछ स्व-रचित कविताओं की संवेदनशील पंक्तियां पढ़कर सुनाईं, तो समूचा हॉल तालियों से गूंज उठा.
चार दशक से अधिक समय तक लोकमत जैसे मुख्य मीडिया के अग्रणी समाचार पत्र की अगुवाई करते हुए चार वर्ष पूर्व सिर्फ नए विश्व को समझने की उत्सुकता के चलते ऑनलाइन माध्यम पर आए राजेंद्र दर्डा ने बेहद कम समय में ही फेसबुक पर हजारों चाहने वालों का एक परिवार बना लिया. इस परिवार के साथ हुई बातचीत को पुरानी यादों के अस्तर हैं और समकालीन घटनाओं पर व्यक्त किए गए विचारों के टांके भी हैं.
राजनीति और सामाजिक जीवन का प्रदीर्घ अनुभव रखने वाले दर्डा ने इस पुस्तक के माध्यम से अपने समृद्ध अनुभव के दरवाजे खोल दिए हैं. कोरोना महामारी की वजह से लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में राजेंद्र दर्डा ने फेसबुक पर एक कविता पोस्ट की थी, जिसने निराशा भरे माहौल में मन पर छाए उदासी के बादलों को छांटने का काम किया.
सबकुछ थम गया है, लेकिन खत्म नहीं हुआ
मनुष्य हताश है, पराजित नहीं !
हम दौड़ रहे थे, ठोकर भी उतनी ही लगी
चलो रक्त से सने अंगूठे को बांध लें
कल की सुबह हमारी ही है !
यह दावानल बुझाने वाली दीवार :विजय दर्डा
लोकमत समूह एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन विजय दर्डा ने अपने प्रास्ताविक भाषण में कहा, ‘‘हमारे बाबूजी जवाहरलाल दर्डा ने मुझे और मेरे बंधु राजेंद्र को एक संस्कार दिया. वह संस्कार था- ‘‘लोकमत के पाठक ही लोकमत के मालिक हैं और आप पाठकों के ट्रस्टी के रूप में काम करें.’’ हमने इसी संस्कार के तहत काम किया. 40 वर्षो की राजनीति, समाजसेवा में राजेंद्र ने कभी कोई दाग नहीं लगने दिया. मुझे गर्व है कि वे मेरे बंधु हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह से किया जा सकता है. यह माध्यम राक्षस भी है और समाज में द्वेष के दावानल को बुझा भी सकता है. मेरे भाई ने सकारात्मकता की बुआई करने के लिए उसका सदुपयोग किया. माझी ‘भिंत’ पुस्तक ने स्नेह जुटाने और प्रेम बांटने का काम किया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बंधु राजेंद्र का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है. समस्या को अवसर मानते हुए उन्होंने काम किया. लक्ष्य तय किए और उन्हें पूरा भी किया. देश-विदेश में उन्होंने छात्रवृत्ति हासिल कर शिक्षा पाई. देश-विदेश के अनुभवों से समृद्ध ‘भिंत’ उन्होंने पाठकों के समक्ष रखी है.’’ दर्डा ने राज्यपाल कोश्यारी के साथ उनके विशेष स्नेह का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ही समय राज्यसभा के सदस्य थे. वे हमारी संसदीय समिति के अध्यक्ष थे.’’
दुनिया का सफर कराने वाली पुस्तक : पाटिल
जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, ‘‘राजेंद्र दर्डा के देश-विदेश घूमने से मिले अनुभव ‘माझी भिंत’ में दर्ज हैं. यह पुस्तक दुनिया का सफर कराती है. लोकमत और दर्डा परिवार के साथ मेरे पिता के समय से पारिवारिक संबंध हैं. दुनिया में जो अच्छा दिखा और उसे देखकर जो अच्छा विचार सामने आया, वह इसमें दर्ज है. फेसबुक ने सभी को लेखनी थमा दी है, लेकिन वहां जो लिखा, उसे पुस्तकाकार करने का यह पहला प्रयोग है. राजेंद्र दर्डा बेहद विद्वान और समस्याओं की समझ रखने वाले नेता हैं. लोकमत समूह की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लोकमत ने देश के सर्वo्रेष्ठ समाचार पत्र के रूप में पहचान बनाई है. दर्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी भी आज सक्षम रूप से उसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है.’’