मुंबई: HC में हुई मशहूर गैंगेस्टर अरुण गवली के आजीवन कारावास की पुष्टि, जानें पूरा मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 9, 2019 12:49 PM2019-12-09T12:49:16+5:302019-12-09T12:49:16+5:30
मालूम हो कि गवली शिवसेना के पार्षद कमलाकर जामशांडेकर की 2007 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे 2012 में दोषी ठहराया गया था। वह 2016 से नागपुर केंद्रीय जेल में है।
बंबई उच्च न्यायालय में हत्या के एक मामले में गैंगस्टर अरुण गवली को आजीवन कारावास की पुष्टि की। मालूम हो कि गवली शिवसेना के पार्षद कमलाकर जामशांडेकर की 2007 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे 2012 में दोषी ठहराया गया था। वह 2016 से नागपुर केंद्रीय जेल में है। गवली (63) राजनीति में उतरा और उसने अखिल भारतीय सेना नामक पार्टी बनायी। वह 2004 में विधायक चुना गया था।
हमेशा सफेद टोपी और सफेद कुर्ता पहनने वाला महाराष्ट्रमुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन, गैंगस्टर और माफिया नेता अरुण गवली सेंट्रल मुम्बई की दगली चॉल में रहा रहता था। दावा किया जाता है कि पुलिस भी वहां उसकी इजाजत के बिना नहीं जाती थी। वहां गवली की सुरक्षा में हर समय हथियार बंद लोग तैनात रहते थे।
1990 में जब मुंबई में गैंगवार जोरों पर था, तब सारे गैंगस्टरों के बीच अरुण गवली ही था, जो मुंबई छोड़कर नहीं गया था। गवली पर बनी फिल्म की पोस्टर डैडी की टैगलाइन भी कहती है- THE ONLY WHO DIDNOT RUN यानी इकलौता शख्स, जो भागा नहीं।
जानें कौन है अरुण गवली
अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को अहमदनगर जिले में हुआ था। उसके बचपन का नाम अरुण गुलाबराव अहीर था। गवली के डॉन बनने की कहानी 1970 के दशक से शुरू होती है, जब मुंबई टेक्सटाइल मिल्स में ताला लग गया था। लाखों मजदूर बेरोजगार हुये भूखमरी बढ़ी। तभी चॉल में रहने वाले मजदूर अंडरवर्ल्ड की चपेट में आने लगे।
इसी में से एक था अरुण गवली। पैसा कमाने के लिए गवली ने शॉटकट अपनाया हफ्ता वसूली शुरू किया। वसूली करते-करते गवली रामा नाइक, बाबू रेशीम के साथ मिलकर बीआर गैंग बनाई। रामा नाइक और गवली दोनों अच्छे दोस्त थे। रामा नाइक को अंडरवर्ल्ड के धंधे के बारे अच्छी जानकारी थी इसलिए गवली उसकी बातें सुनता था।
शिवसेना पार्षद की हत्या के आरोप में अरुण गवली जेल में बंद
विधायक बन जाने के बाद अरुण को इस बात का घमंड हो गया कि पुलिस उसे अब गिरफ्तार नहीं कर सकती है। 2008 में गवली ने शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या की सुपारी ली और उसका मर्डर करवा दिया। इस हत्या के लिये गवली ने 30 लाख रुपये की सुपारी ली थी। 2008 में ही शिवसेना पार्षद की हत्या मामले में गवली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जिसे 2012 में हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। यह पहली मौका था जब गवली को किसी अदालत ने दोषी मानकर सजा सुनाई थी।
फिलहाल गवली नागपुर सेंट्रल जेल में काट रहा है। जेल जाने के बाद गवली गैंग का भी मुंबई पुलिस ने सफाया कर दिया था। लेकिन 2018 के अगस्त महीने में वो फिर से चर्चा में आये थे। जब गांधीवाद की परीक्षा में जेल में रहते हुये गवली ने टॉप किया था। नागपुर सेंट्रल जेल में 1 अक्टूबर, 2017 को गांधीवाद से जुड़ी परीक्षा हुई थी, जिसमें कुल 160 कैदियों ने भाग लिया था। जिसमें से गवली ने 80 में से 74 सवालों का सही जवाब दिया और परीक्षा में टॉप किया था। सहयोग ट्रस्ट के ट्रस्टी रवींद्र भूसरि ने मीडिया से बात करते हुये उस वक्त कहा था- हमें खुशी है कि गवली ने जेल में गांधीवाद के सिद्धांतों को आत्मसात करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं।