मुलायम सिंह यादव ने तेज की कुनबा जोड़ने की कवायद, अखिलेश-शिवपाल से मिलकर की चर्चा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 10, 2019 03:43 AM2019-06-10T03:43:34+5:302019-06-10T03:43:34+5:30
चुनाव में यादव वोटबैंक के बिखराव से अखिलेश का 'सपा बसपा गठबंधन' प्रयोग नाकाम होने में प्रसपा की भूमिका के मद्देनजर, मुलायम ने शिवपाल से पारिवारिक टकराव खत्म करने को कहा है.
लोकसभा चुनाव में सपा का जनाधार दरकने के कारण पूरे परिवार की राजनीतिक विरासत पर उपजे संकट को लेकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. इसके लिए मुलायम ने पिछले सप्ताह शिवपाल को दिल्ली बुलाकर चर्चा की थी.
चुनाव में यादव वोटबैंक के बिखराव से अखिलेश का 'सपा बसपा गठबंधन' प्रयोग नाकाम होने में प्रसपा की भूमिका के मद्देनजर, मुलायम ने शिवपाल से पारिवारिक टकराव खत्म करने को कहा है. लेकिन मुलायम को पुत्र अखिलेश और भाई शिवपाल को फिर से एक साथ लाने की कोशिशों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए विधानसभा के उपचुनाव तक इंतजार करना पड़ेगा.
शिवपाल ने विधानसभा उपचुनाव में सपा और प्रसपा के मिलकर चुनाव लड़ने का विकल्प सुझाया है. इसके बाद ही पता चलेगा कि प्रसपा का सपा में विलय होगा या दोनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे. सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश और शिवपाल के बीच खटास दूर करने की मुलायम की शुरुआती कोशिश कामयाब नहीं रही. मुलायम की पहल पर पैतृक गांव सैफई में अखिलेश और शिवपाल की मुलाकात जरूर हुई, लेकिन शिवपाल ने सपा में अपनी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के विलय से फौरी तौर पर इनकार कर दिया है.
सपा के एक सांसद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम ने चाचा-भतीजे को तत्काल एकजुट होने की जरूरत समझाते हुए आगाह किया है कि अगर अब नहीं संभले, तो फिर राजनीतिक भविष्य ठीक नहीं है. उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. भाजपा के नौ और सपा एवं बसपा के एक-एक विधायक के लोकसभा चुनाव जीतने तथा हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल का निर्वाचन रद्द होने के कारण इन सीटों पर उपचुनाव होने हैं.