Birthday Spl: पिता चाहते थे बेटा हो पहलवान पर मुलायम सिंह यादव बन गए 'नेता जी', अब शान से जी रहे हैं ज़िंदगी
By अमित कुमार | Published: November 22, 2020 09:22 AM2020-11-22T09:22:12+5:302020-11-22T13:50:53+5:30
यूपी के इटावा स्थित सैफई गांव में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। मुलायम के पिता उन्हें एक पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में कदम रखा।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं। मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अलावा वह केंद्र में एक बार रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 21 नवंबर 1939 को हुआ था। उन्होंवे इटावा जिले के सैफई गांव में जन्म लिया था और उनकी माता का नाम मूर्ति देवी पिता का नाम सुधर सिंह यादव था। मुलायम सिंह एक किसान परिवार से आते हैं।
अपने पांच भाई-बहनों में रतनसिंह से छोटे और अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े मुलायम सिंह का जीवन सफर रोमांचक रहा है। बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव को उनके पिता पहलवान बनाना चाहते थे। इसीलिए वह अक्सर कुश्तियों में भाग लेते थे। इसी दौरान उनकी एक दिन मुलाकात नत्थूसिंह से हो गई थी। यह मुलाकात मैनपुरी में एक कुश्ती-प्रतियोगिता में हुई, जिसके नत्थूसिंह उनसे बेहद प्रभावित हुए और उनके परंपरागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से मुलायम ने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।
पहली बार 1967 में विधायक बने थे मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव पहली बार 1967 में विधायक बने। इसके बाद 1975 में आपातकाल के दौरान जेल गये और 1977 में पहली बार मंत्री पद संभाला और साल 1980 में वे लोकदल पार्टी के अध्यक्ष बनाये गये।1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। वहीं, 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। समाजवादी पार्टी की स्थापना करने के बाद 1993 में मुलायम सिंह दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 1996 में मैनपुरी की लोकसभा सीट से सांसद बने और उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया।
गोली चलवाने का आदेश देकर विवादों में आ गए थे मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह की हिन्दुत्ववादी संगठन और कई लोग आलोचना भी करते आए हैं क्योंकि जब 2 नवंबर, 1990 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) को गिराने की कोशिश की थी, तब उन्होंने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थी। अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश मुलायम सिंह यादव को भारी पड़ गया था क्योंकि इस घटना के बाद 1991 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की बुरी तरह हार हुई थी और पहली बार उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई थी।