मुकेश अंबानी ने 27 अरब डॉलर में बेचा अपना सपना, अब डिलीवर करने की चुनौती
By स्वाति सिंह | Published: December 29, 2020 06:46 PM2020-12-29T18:46:14+5:302020-12-29T18:48:13+5:30
मुकेश अंबानी की हर योजना पर निवेशकों की नजर रहती है। वह अपने तेल एवं पेट्रोकेमिकल कारोबार में 20 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब की कंपनी को बेचना चाहते थे जिसकी घोषणा अगस्त 2019 में हुई थी। इससे कंपनी को अपना कर्ज चुकाने में मदद मिलती।
63 साल के मुकेश अंबानी रिलायंस को टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स कंपनी में बदलना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कुछ प्राथमिकताएं तय कर रखी हैं। इनमें 5जी नेटवर्क के लिए प्रोडक्ट डेवलप करना, फेसबुक की वॉट्सऐप पेमेंट्स सर्विस को रिलायंस के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ना और ई-कॉमर्स कारोबार को फिजिटल स्टोर्स के साथ जोड़ना शामिल है। उनकी रिलायंस के तेल एवं पेट्रोकेमिकल कारोबार में भी हिस्सेदारी बेचने की योजना है।
बता दें कि मुकेश अंबानी की हर योजना पर निवेशकों की नजर रहती है। वह अपने तेल एवं पेट्रोकेमिकल कारोबार में 20 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब की कंपनी को बेचना चाहते थे जिसकी घोषणा अगस्त 2019 में हुई थी। इससे कंपनी को अपना कर्ज चुकाने में मदद मिलती। लेकिन दोनों कंपनियों के बीच बातचीत रुक गई और रिलायंस के शेयर तीन महीने में 40 फीसदी गिर गए।
जुलाई में रिलायंस की एजीएम में अंबानी और उनके बच्चों ईशा और आकाश ने जियो और 5 जी प्रोडक्ट की आगे की योजनाओं के बारे में निवेशकों को पूरी डिटेल बताई। कंपनी अगले साल की शुरुआत में 5जी वायरलेस नेटवर्क सर्विस और एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना है। रिलायंस की डिजिटल यूनिट जियो प्लेटफॉर्म लिमिटेड देश के लाखों छोटे कारोबारियों के लिए टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस और ऐप विकसित करेगी।
अंबानी की हर योजना पर निवेशकों की नजर है। इस साल रिलायंस का शेयर 55 फीसदी उछलकर सितंबर में रेकॉर्ड पर पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद से इसमें गिरावट आई है। स्टेकहोल्डर्स इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि अंबानी अपने सपने को कैसे पूरा करते हैं। अंबानी ने फेसबुक जैसे नए निवेशकों के साथ अपनी पार्टनरशिप को हाथोंहाथ लिया है। लेकिन मूल रूप से यह उनका वैकल्पिक प्लान था। असल में तो वह अपने तेल एवं पेट्रोकेमिकल कारोबार में 20 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब की कंपनी को बेचना चाहते थे। इसकी घोषणा अगस्त 2019 में हुई थी। इससे कंपनी को अपना कर्ज चुकाने में मदद मिलती। लेकिन दोनों कंपनियों के बीच बातचीत रुक गई और रिलायंस के शेयर तीन महीने में 40 फीसदी गिर गए।