नसबंदी के लिए एक भी आदमी को नहीं मना पाए जो स्वाथ्यकर्मी, नहीं दी जाएगी उनकी सैलरी, किए जाएंगे रिटायर

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: February 21, 2020 11:30 AM2020-02-21T11:30:14+5:302020-02-21T11:56:08+5:30

मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जो स्वास्थ्यकर्मी एक भी आदमी को नसबंदी के लिए नहीं मना पाए, उनका वेतन नहीं दिया जाएगा।

MP: Male MPHWs, who failed to convince man for sterilisation, their salaries would not be given | नसबंदी के लिए एक भी आदमी को नहीं मना पाए जो स्वाथ्यकर्मी, नहीं दी जाएगी उनकी सैलरी, किए जाएंगे रिटायर

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsमध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जो स्वास्थ्यकर्मी एक भी आदमी को नसबंदी के लिए नहीं मना पाए, उनका वेतन नहीं दिया जाएगा।आदेश में कहा गया है कि ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जाएगा। राज्य सरकार ने यह आदेश पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जारी किया गया है।

मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जो स्वास्थ्यकर्मी एक भी आदमी को नसबंदी के लिए नहीं मना पाए, उनका वेतन नहीं दिया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जाएगा। राज्य सरकार ने यह आदेश पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जारी किया गया है।

आदेश में कहा गया है कि जो स्वास्थ्यकर्मी 2019-20 में एक भी शख्स को नसबंदी कराने के लिए नहीं मना पाए, उनका वेतन नहीं दिया जाएगा और उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जाएगा।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने शीर्ष जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचएमओ) को निर्देश दिया कि वे ऐसे पुरुष स्वास्थ्यकर्मियों की पहचान करें, जिन्होंने 2019-20 की अवधि में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं की थी। महीने और "कोई काम नहीं वेतन" सिद्धांत लागू होते हैं। यह अवधि अगले महीने समाप्त हो रही है। ऐसे लोगों के लिए 'काम नहीं, भुगतान नहीं' के सिद्धांत को लागू किया जाएगा। 

 

टाइम्स नाउ की वेबसाइट के मुताबिक, एक अधिकारी ने सैलरी नही देने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि परिवार नियोजन के मामले में कई लोग जागरूक नहीं हैं। इसलिए यह स्वास्थ्यकर्मियों का दायित्व है कि वे उन्हें समझाएं।

बता दें कि 1975 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो उनके बेटे संजय गांधी ने गरीब लोगों की नसबंदी करने के लिए एक भीषण अभियान चलाया था। कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बताया था कि गांवों में पुरुषों को जबरन सर्जरी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य क्लीनिकों में ले जाया गया।

1976 तक भारत सरकार ने करीब 62 लाख लोगों की नसबंदी कराई थी और दो हजार से ज्यादा लोग खराब ऑपरेशन के कारण मर गए थे। 

Web Title: MP: Male MPHWs, who failed to convince man for sterilisation, their salaries would not be given

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