राहुल गांधी संग बैठकर सिंधिया-कमलनाथ ने अपने इस दिग्गज नेता को फंसाने के लिए बनाई थी योजना?
By मुकेश मिश्रा | Published: November 10, 2018 06:02 PM2018-11-10T18:02:11+5:302018-11-10T18:02:11+5:30
चलिए, चुनावी सियासत का शतरंज बिछ चुका है. चालें शुरू हो गई हैं. प्यादे मैदान में हैं. कौन किसको मात देगा, किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा, कौन वजीर बनेगा और सत्ता सिंहासन किसके पास होगा? यह सब 11 दिसंबर को मालूम चलेगा, लेकिन एक बात जरूर है कि राजनीति में जो दिखता है, वो होता नहीं. होता वह है, जो दिखता नहीं. खास कर कांग्रेस में.
कांग्रेस के सूबेदारों ने मिलकर निमाड़ के सियासी सूबेदार को निपटा दिया. हुआ यूं कि अरुण यादव लगातार बड़े वचन कहे जा रहे थे. जब कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी के साथ बैठे हुए थे तब यादव कह उठे कि कहीं से भी लड़ा दो किला फतह कर लूंगा.
वैसे भी वे निमाड़ से अपने गृहग्राम के पास वाली सीट लड़ने के लिए मांग रहे थे. बस क्या था, सभी ने मिलकर उन्हें बुधनी से लड़ा दिया. अब यादव परेशान हैं कि न घर उनके पास और न ही घाट. अब सोच रहे हैं कि क्यों अपने बोल वचन पर काबू नहीं रख सके.
राजनीति में अभी आए युवा नेता डॉ. आनंद राय इस गुमान में सीना फुलाए घूम रहे थे कि उनका टिकट तो इंदौर की पांच नंबर विधानसभा से पक्का है. डॉक्टर साहब का रुख भी विधायक की तरह हो गया था. वे कहते फिर रहे थे कि जीत तो उनकी ही होगी.
10 हजार युवाओं की फौज उनके पास है. दीपक बाबरिया और विवेक तन्खा का फोन आ गया है. एक महीने बाद सदन में दिखूंगा. टिकट मिलने के उत्साह में डॉक्टर साहब ने अपनी सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे आए. साथ ही एक महीने की सैलरी भी जमा कर आए. जब कांग्रेस की आखिरी सूची गुरुवार रात को आई तो डॉक्टर साहब के तोते उड़े हुए थे.
नाम गायब था. पार्टी ने पांच नंबर से पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित किया. मालवा में एक कहावत है कि 'जिको नाम पहले चलो, वो ग्यों.' यही उनके साथ भी हुआ. अब कौन बताए कि राजनीति जैसी दिखती है, वैसी है नहीं और जो कहा जाता है , वह होता नहीं डॉक्टर साहब.