दुखद: थानेदार बेटे का शव देखते ही मां को लगा गहरा सदमा, मौके पर हुई मौत, अब एक साथ उठेगी मां-बेटे की अर्थी
By एस पी सिन्हा | Published: April 11, 2021 03:59 PM2021-04-11T15:59:20+5:302021-04-11T16:00:39+5:30
बंगाल में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार की मां की मौत हो गई है। इस मामले में लापरवाही के आरोप में सर्किल इंस्पेक्टर सहित सात पुलिसकर्मी निलंबित किये गये हैं।
पटना,11 अप्रैल। बिहार में किशनगंज जिले के सदर थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार की बंगाल में छापेमारी के दौरान भीड़ द्वारा की गई हत्या मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार सहित सात पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। आईजी के निर्देश पर एसपी ने यह बडी कार्रवाई की। अश्वनी कुमार की किशनगंज जिले की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के पांजीपाडा थाना क्षेत्र में अपराधियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उधर, अश्विनी कुमार का पार्थिव शरीर घर लौटा तो बेटे की मौत के गम में उनकी मां की भी मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आज एक साथ मां उर्मिला देवी और थानेदार बेटे की अर्थी उनके घर से उठी। पूर्णिया के जानकीनगर थाना के अभयराम चकला पंचायत के पांचू मंडल टोला निवासी दिवंगत थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार की मां उर्मिला देवी पटना में बहू मीनू स्नेहलता और बच्चों के साथ रहती थी। दिवंगत थानाध्यक्ष के पिता महेश प्रसाद यादव सेवानिवृत्त शिक्षक थे, जिनका देहांत कुछ साल पूर्व हो गया था।
अब बेटे की मौत का सदमा उनकी मां उर्मिला देवी बर्दाश्त नहीं कर पाईं। आज सुबह हृदयाघात से उनकी भी मौत हो गई। वे पहले से ही हृदय रोगी थीं, इस कारण उन्हें बेटे की मौत के बारे में पहले नहीं बताया गया था। शनिवार की देर रात उन्हें इस घटना की सूचना मिली, इसके बाद आज सुबह उनकी मौत हो गई। 1994 बैच के पुलिस अधिकारी रहे अश्विनी कुमार लगभग दो वर्षों से किशनगंज में पदस्थापित थे। इस बीच कार्रवाई करते हुए पूर्णिया के जोनल आइजी ने इंस्पेक्टर के साथ छोपमारी करने बंगाल गई पुलिस टीम में शामिल सर्किल इंस्पेक्टर समेत सात पुलिसकर्मियों को कर्तव्यहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया है।
वहीं, अश्विनी कुमार की हत्या के बाद गुस्साए परिजनों ने साजिश के तहत थानाध्यक्ष की हत्या का आरोप लगाया था। परिजनों का कहना था कि थानाध्यक्ष के साथ गए पुलिस पदाधिकारी और पुलिस बल अगर वहां मौजूद रहकर एक भी गोली चला देते तो शायद भीड के चंगुल से उनके भाई की जान बच जाती। अश्विनी कुमार के भाई प्रवीण कुमार उर्फ गु्ड्डू ने कहा कि रात में जिस जगह बंगाल में उनके भाई छापेमारी में गये थे।
उनके साथ किशनगंज सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार और पुलिस बल भी साथ गए थे। आखिर क्या वजह रही कि सर्किल इंस्पेक्टर और पुलिस बल के जवान सही सलामत बच गए और थानाध्यक्ष मॉब लिंचिंग के शिकार हो गए? इसबीच, आइजी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि लूटी गई बाइक की बरामदगी एवं आरोपित की गिरफ्तारी के लिए सदर थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिला अंतर्गत ग्वालपोखर थाना क्षेत्र के पनतापाडा गांव गए थे।
उनके साथ सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार, सिपाही राजू सहनी, अखिलेश्वर तिवारी, प्रमोद कुमार पासवान, उज्ज्वल कुमार पासवान, सुनिल चौधरी और सुशील कुमार शामिल थे। यह सभी लोग जान बचाकर भाग गए परंतु इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार को भीड ने पकड कर निर्ममता पूर्वक पीट-पीट कर हत्या कर दी। प्रथम दृष्टया टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों की लापरवाही परिलक्षित होती है।