चुनावी नतीजों के दिन नहीं पैदा हुआ था 'नरेंद्र मोदी', ये है नाम के पीछे का असली खेल
By रजनीश | Published: June 30, 2019 10:25 AM2019-06-30T10:25:20+5:302019-06-30T10:25:20+5:30
'नरेंद्र मोदी' की मां मेहनाज को कुछ कारणों के चलते गांव के लोगों ने बताया कि उन्हें जेल होगी। इस बात को जानकर वह बहुत डरी हुई हैं...
चुनावी नतीजों के साथ ही 23 मई को जब नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार बीजेपी जब दोबारा सत्ता में लौटी तो उत्तर प्रदेश के गोंडा के एक गांव से बड़ी खबर आई। दरअसल उसी दिन एक मुस्लिम महिला ने अपने बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी रखा गया।
इस खबर को आए हुए महीने भर का समय भी नहीं बीता जब परसापुर महरौर गांव में अपने दो-मंजिला घर पर बैठी बच्चे की मां मेहनाज बेगम कहती हैं कि उन्हें अपने बच्चे का नाम लेने पर पछतावा होता है। इसके लिए वह अपने एक चचेरे पत्रकार भाई पर उन्हें बहकाने का आरोप लगाती हैं।
बाद में पता चला कि बच्चे का जन्म 23 मई नहीं बल्कि 12 मई को हुआ था। इस बात की पुष्टि मेहनाज द्वारा जिलाधिकारी और असिस्टेंट डेवलपमेंट ऑफिसर (पंचायत) घनश्याम पांडे को सौंपे गए एक हलफनामें से हुई।
घनश्याम पांडे ने इस बात कि पुष्टि किया कि मेहनाज का हलफनामा बच्चे के नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी के रूप में मिला जिसे डीएम कार्यालय को भेज दिया गया।
इस पर मेहनाज कहती हैं कि हमें क्या पता था कि इतनी आफत आ जाएगी। हम तो अपने खाला के लड़के के बहकावे में आ गए। मुझे नहीं पता था कि यह इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगा।
मेहनाज ने मुश्ताक पर आरोप लगाया कि उसने यह फैलाया कि बच्चा 23 मई को पैदा हुआ है। मैं अनपढ़ हूं और मोदी के बारे में ज्यादा जानती भी नहीं।
वहीं इस पूरे मामले में खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए मुश्ताक ने कहा कि बच्चे के नाम को लेकर मेरा कोई सुझाव नहीं था। मेहनाज ने खुद मुझसे कहा कि वह अपने बच्चे का नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी रखेगी। इस पर मैं न्यूजपेपर में लिखने को तैयार हो गया लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह बच्चे के जन्मतिथि को लेकर झूठ बोल रही है।
गांव से 15 किलोमीटर दूर वजीरगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर आशुतोष शुक्ला ने मेहनाज के बच्चे के जन्म की तारीख की पुष्टि 12 मई बताया।
वहीं इस खबर को लिखने वाले सीनियर रिपोर्टर कमर अब्बास का कहना है कि मीडिया में बता फैलने के बाद महिला अपने समुदाय के दबाव में आ गई है। उसको डर है कि नाम की वजह से समुदाय उसके बच्चे का बहिष्कार करेगा। इस वजह से वह से बाकी लोगों पर आरोप लगा रही है।
मेहनाज के पति मोहम्मद मुश्ताक अहमद जो दुबई में काम करते हैं वह इस पूरे मामले से नाराज हैं। आमतौर पर वह 4000 रुपये महीने खर्च भेजते हैं लेकिन जब से विवाद सामने आया है उन्होंने पैसे भेजने बंद कर दिए हैं। महिला ने कहा कि वह नवंबर 2018 में घर आए थे अब जब दीवाली में वो घर आएंगे तब शायद मैं उन्हें पूरा मामला समझा पाऊं कि हकीकत क्या है। मुझे उम्मीद है कि वह अगले महीने से पैसा भेजना शुरू कर देंगे। आंसू पोछते हुए और छोटे मोदी को देखते हुए मेहनाज कहती हैं कि यह उनके वह अपने सास-ससुर के साथ रहती हैं और उनके पास पति के भेजे गए पैसों के अलावा खर्च का कोई साधन नहीं है।
उन्होंने बताया कि बच्चा बीमार है औऱ उसे हर दिन डॉक्टर के पास ले जाना होता है जहां हर बार 200 रुपये लगता है।
मेहनाज कहती हैं कि पड़ोसियों ने भी उन्हें अकेला छोड़ दिया है। वह कहती हैं कि मामला सामने आने के बाद समुदाय के लोगों ने भी बहिष्कार कर दिया क्योंकि मेरे बच्चे का नाम एक हिंदू नेता के नाम पर रखा गया था। यही कारण है कि इस बार ईद पर सेवई खाने भी बहुत कम लोग घर आए थे बाकी साल हम बर्तन धोते हुए थक जाते थे।
गांव के कुछ लोग कह रहे हैं कि मुझे झूठ बोलने के लिए जेल भेजा जाएगा। इस बात को सुनकर मैं भी बहुत डरी हुई हूं। यदि मुझे जेल भेजा जाता है तो मेरे बच्चों की देखभाल कौन करेगा। मेहनाज के दो औऱ बेटियां हैं।