मॉनसून ने केरल में दी दस्तक, एक हफ्ते की हुई देरी...जानिए बिहार-यूपी तक कब पहुंचेगी झमाझम बारिश
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 8, 2023 02:27 PM2023-06-08T14:27:10+5:302023-06-08T14:30:57+5:30
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मॉनसून के केरल पहुंचने की पुष्टि कर दी है। अगले 24 घंटे में मॉनसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा और अगले दो दिनों में देश के कई दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में इसका असर दिखने लगेगा।
नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने अपने सामान्य समय से एक सप्ताह के विलंब के साथ आखिरकार गुरुवार को भारत में दस्तक दे दी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मॉनसून के केरल पहुंचने की घोषणा कर दी है। मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ मॉनसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘मामूली’ रहेगी।
बहरहाल, मौसम विभाग के ताजा बयान में कहा गया है, ‘मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।’
एक हफ्ते देरी से केरल पहुंचा है मॉनसून
दक्षिण पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में आईएमडी ने कहा था कि मॉनसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट’ ने केरल में सात जून को मॉनसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मॉनसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख भिन्न रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को केरल पहुंचा था।
मॉनसून की बारिश कैसी रहेगी इस बार?
शोध से पता चलता है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी का मतलब यह नहीं है कि उत्तर पश्चिम भारत में मॉनसून की शुरुआत में देरी होगी। हालांकि, केरल में मॉनसून के आगमन में देरी आम तौर पर दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मॉनसून की शुरुआत में देरी से जुड़ी होती है।
आईएमडी ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। मॉनसून की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है।
क्यों भारत के लिए मॉनसून बन जाता है बेहद अहम?
भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य वर्षा महत्वपूर्ण है। कुल कृषि क्षेत्र का 52 प्रतिशत वर्षा पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है। देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का लगभग 40 प्रतिशत योगदान है, जो इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
यूपी-बिहार तक कब पहुंचेगा मॉनसून
मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 24 घंटे में मॉनसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। करीब 48 घंटे में इसका असर तमिलनाडु, कर्नाटक, दक्षिण पश्चिम क्षेत्रों में नजर आने लगेगा। इसके बाद यह मध्य भारत की ओर बढ़ेगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा राजस्थान आदि राज्यों तक पहुंचेगा। यूपी-बिहार के हिस्सों में मॉनसून के पूरी तरह पहुंचने में इसमें 15 से 20 दिन का समय लग सकता है।