जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी, अमित शाह बोले- एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन

By भाषा | Published: September 22, 2020 10:07 PM2020-09-22T22:07:55+5:302020-09-22T22:07:55+5:30

जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक का लोकसभा में पारित होना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी अब J&K की आधिकारिक भाषाएँ होगी : अमित शाह, गृह मंत्री

momentous day for the people of J&K as Jammu Kashmir Official Languages (Amendment) Bill was passed in Lok Sabha | जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी, अमित शाह बोले- एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन

लोकसभा ने ध्वनिमत से जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी ।

Highlightsविधेयक को पेश किया तब नेशनल कांफ्रेस के सांसद हसनैन मसूदी ने विधेयक को पेश करने का विरोध किया। जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को बड़ी संख्या में बोलते हैं और समझते हैं।रेड्डी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में जितने लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं, उनमें से 53.26 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में हैं।

नई दिल्लीः लोकसभा ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें पांच भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और डोगरी को केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान है।

निचले सदन में जब गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सदन में इस विधेयक को पेश किया तब नेशनल कांफ्रेस के सांसद हसनैन मसूदी ने विधेयक को पेश करने का विरोध किया। बहरहाल, गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा के तौर पर घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को बड़ी संख्या में बोलते हैं और समझते हैं।

रेड्डी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में जितने लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं, उनमें से 53.26 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में हैं। लेकिन 70 साल तक वह आधिकारिक भाषा नहीं थी। यह ऐतिहासिक भूल थी। मोदी जी के नेतृत्व में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा रहा है और हम यह भी करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भाषा, धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं रखती। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी ।

मंत्री ने कहा कि 70 साल से उर्दू जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा है

बहरहाल, मंत्री ने कहा कि 70 साल से उर्दू जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा है लेकिन जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा बोलने वाले 0.16 प्रतिशत ही हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू और अंग्रेजी दोनों को आधिकारिक भाषा के तौर पर जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि डोगरी वहां दूसरे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। बहरहाल, विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए हसनैन मसूदी ने कहा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह सब किया जा रहा है लेकिन उच्चतम न्यायालय में इस अधिनियम को चुनौती दी गई है।

इस पर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानित शुचिता का पालन होता है। जब उच्चतम न्यायालय का फैसला आना है कि तो इस तरह का विधेयक नहीं लाया जा सकता। मसूदी ने दावा किया कि अंग्रेजी और उर्दू दोनों आधिकारिक भाषा के तौर पर पहले से काम हो रहा है। यहां असमंजस पैदा करने के लिए पांच भाषाओं को आधिकारिक सूची में शामिल किया जा रहा है। मसूदी के बयान पर कार्मिक, लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल कांफ्रेस के सांसद ने जो कहा वो सदन को गुमराह करने का प्रयास है।

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कश्मीरी भाषा का विरोध क्यों किया जा रहा है जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीरियत के नाम पर राजनीति की है। मसूदी ने अपने (नेशनल कांफ्रेस) को अपने आवाम के सामने बेनकाब कर दिया। सिंह ने कहा कि आप लोगों ने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कश्मीरी अवाम को ठगा। उन्होंने कहा कि आपने कह दिया कि पिछले साल पांच-छह अगस्त को संसद से पारित विधेयक गैरकानूनी कहा था। जबकि हमने आप लोगों से यही सुना है कि संसद सर्वोच्च है।

आप इस तरह से कहते हैं कि हमें ताज्जुब होता है। आप हर समय सबको बेवकूफ नहीं बना सकते। सिंह ने कहा कि मोदी जी ने पहली बार स्वायत्ता का मतलब वहां पंचायती चुनाव करके बताया। उन्होंने कहा कि जो हो रहा है उससे श्रीनगर का आम आदमी बहुत खुश है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री ने कहा कि आप बदली हुई फिजा को समझिए। जितनी जल्दी समझेंगे उतनी जल्दी जम्मू-कश्मीर और देश का भला होगा। वहीं, बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि कई सदस्यों ने सदन में मांग की है कि पंजाबी को भी आधिकारिक भाषा के तौर पर शामिल किया जाए। ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषी कितने लोग है।

रेड्डी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा अभी अमल में नहीं है, ऐसे में संविधान के तहत कानून बनाने का अधिकार संसद को है। मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पंजाबी भाषा बोलने लोग 1.78 प्रतिशत है। इसलिए इस भाषा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार किसी भी क्षेत्रीय भाषा के खिलाफ नहीं है।

Web Title: momentous day for the people of J&K as Jammu Kashmir Official Languages (Amendment) Bill was passed in Lok Sabha

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