मोदी-शी की समिट के लिए महाबलीपुरम को दिन-रात एक कर बनाया साफ-सुथरा, एक महीने से नहीं मिली पगार
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: October 15, 2019 01:17 PM2019-10-15T13:17:01+5:302019-10-15T13:17:01+5:30
रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों अस्थाई सफाई कर्मचारियों को राज्य की एजेंसियों की ओर से काम पर रखा गया था ताकि सुंदरीकरण का काम तेजी से हो सके लेकिन आरोप है कि उन्हें लगभग महीने भर से पगार नहीं मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए तमिलनाडु के महाबलीपुरम को साफ-सुथरा बनाने वाले सफाई कर्मियों का आरोप है कि उन्हें एक महीने से पगार नहीं मिली है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अगर महाबलीपुरम साफ-सुथरा दिख रहा है तो इसके पीछे सफाई कर्मियों की मेहनत है, जिन्होंने शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों अस्थाई सफाई कर्मचारियों को राज्य की एजेंसियों की ओर से काम पर रखा गया था ताकि सुंदरीकरण का काम तेजी से हो सके लेकिन आरोप है कि उन्हें लगभग महीने भर से पगार नहीं मिली है। सफाईकर्मियों को पगार कब मिलेगी, इसके संकेत भी नहीं मिल रहे हैं।
जी सावित्री नाम की महिला सफाईकर्मी ने बताया कि उसे लगा कि मनरेगा योजना के तहत रोजाना 100 रुपये मिलेंगे। सावित्री ने बताया, ''बीस दिन पहले पंचायत ने कहा कि उसे कामगारों की जरूरत है। ग्रामीणों का एक समूह काम पर चला गया। हमें अब तक भुगतान नहीं किया गया।''
सफाई कर्मचारी एस रमेश ने बताया, ''मैंने 10 दिन सुंदरीकरण का काम किया। यह काम रोज कूड़ा उठाने वाले काम से अलग है। हर रोज काम आधी रात में खत्म हुआ करता था।''
महाबलीपुरम में सफाई कर्मचारियों में कूड़ा बीनने वाले भी शामिल किए गए थे, उन्हें भी अतिरिक्त मेहताने का वादा नहीं किया गया था।
बता दें कि समंदर किनारे कूड़ा बीनने वाला पीएम मोदी का वीडियो भी हाल में वायरल हो हुआ था। नरेंद्र मोदी सरकार जोर-शोर से स्लच्छता अभियान चला रही हैं। इसके लिए महात्मागांधी की 150वीं जयंती पर देशभर में कई जागरूकता कार्यक्रम किए गए थे।