राफेल विमान सौदे के बचाव में मोदी सरकार का नया हथियार- ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट!
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 7, 2019 08:47 AM2019-03-07T08:47:02+5:302019-03-07T11:26:26+5:30
मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल लड़ाकू विमान से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से 'चोरी' हो गए हैं। सरकार ने इन दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे दो मीडिया हाउस और एक वकील के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट लगाने की धमकी दी है।
मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राफेल लड़ाकू विमान से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से 'चोरी' हो गए हैं। सरकार ने इन दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे दो मीडिया हाउस और एक वकील के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट लगाने की धमकी दी है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जिन दस्तावेजों को अपना आधार बनाया है, उन पर गोपनीय और वर्गीकृत लिखा था। यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है। वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिकाओं और गलतबयानी के लिए दायर आवेदन रद्द करने का अनुरोध किया क्योंकि इनका आधार चोरी के दस्तावेज है।
अटॉर्नी जनरल ने शुरुआत में प्रकाशकों का नाम नहीं लिया लेकिन बाद में कहा, 'द हिंदू और एएनआई के पास मौजूद राफेल से जुड़े दस्तावेज चोरी के हैं।' जिस वकील की तरफ उन्होंने इशारा किया था उसे प्रशांत भूषण माना जा रहा है। प्रशांत भूषण ने ही यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। पुनर्विचार याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत में जब राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया तो केंद्र ने महत्वपूर्ण तथ्यों को उससे छुपाया था।
द हिंदू ग्रुप के चेयरमैन एन राम ने कहा कि समाचार पत्र के गोपनीय सूत्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं प्राप्त कर सकता है जिन्होंने दस्तावेज मुहैया कराए हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने सूत्रों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। दस्तावेज और खबरें खुद पूरी कहानी बयां कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केके वेणुगोपाल के आरोप पर कहा, 'मान लीजिए कोई भ्रष्टाचार हुआतो क्या आप राष्ट्रीय सुरक्षा के पीछे उसे छिपाने के रास्ते तलाश सकते हैं।'
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राफेल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी किए गए हैं और याचिकाकर्ता इन दस्तावेजों के आधार पर विमानों की खरीद के खिलाफ याचिकाएं रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार चाहते हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने अपने दिसंबर 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
प्रशांत भूषण ने जब वरिष्ठ पत्रकार एन. राम के एक लेख का हवाला दिया तो अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि यह लेख चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं और इस मामले की जांच जारी है। वेणुगोपाल ने कहा कि इस वरिष्ठ पत्रकार का पहला लेख 6 फरवरी को 'द हिंदू' में प्रकाशित हुआ और बुधवार के संस्करण में भी एक खबर है जिसका मकसद न्यायालय की कार्यवाही को प्रभावित करना है। यह न्यायालय की अवमानना के समान है।
वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने और 'द हिंदू' में प्रकाशित सामग्री के आधार पर प्रशांत भूषण द्वारा बहस करने पर आपत्ति की तो पीठ ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि जब वह आरोप लगा रही है कि ये लेख चोरी की सामग्री पर आधारित है, तो संबंधित दस्तावेज चोरी होने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की। सिन्हा, शौरी और स्वयं अपनी ओर से बहस शुरू करते हुए भूषण ने कहा कि राफेल सौदे के महत्वपूर्ण तथ्यों को उस समय छुपाया गया जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और इसकी जांच के लिए याचिका दायर की गई थी।
उन्होंने कहा कि अगर इन तथ्यों को न्यायालय से छुपाया नहीं गया होता तो शीर्ष अदालत ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच कराने के लिए दायर याचिका रद्द नहीं की होती। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जिन दस्तावेजों को अपना आधार बनाया है, उन पर गोपनीय और वर्गीकृत लिखा था। यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है। वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिकाओं और गलतबयानी के लिए दायर आवेदन रद्द करने का अनुरोध किया क्योंकि इनका आधार चोरी के दस्तावेज है।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा और एएनआई से इनपुट्स लेकर