एस जयशंकर-निर्मला सीतारमणः मोदी सरकार में जेएनयू के दो पूर्व छात्र टॉप फोर मंत्रिमंडल में शामिल

By सतीश कुमार सिंह | Published: May 31, 2019 01:40 PM2019-05-31T13:40:22+5:302019-05-31T13:40:22+5:30

निर्मला सीतारमण के बाद एस जयशंकर दूसरे मंत्री होंगे जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्व (जेएनयू) विद्यालय दिल्ली से पढ़ाई की है। इसी साल 2019 में रिटायर हुए सुब्रह्मण्यम जयशंकर सबसे लंबी 36साल की विदेश सेवा के लिए जाने जाते हैं। 

modi government jnu two ex student s jaishankar-nirmala sitharaman | एस जयशंकर-निर्मला सीतारमणः मोदी सरकार में जेएनयू के दो पूर्व छात्र टॉप फोर मंत्रिमंडल में शामिल

रिपोर्ट्स के अनुसार बीते कार्यकाल में मोदी सरकार की आक्रामक विदेश नीति का आधार तैयार करने में एस. जयशंकर का हाथ माना जाता है।

Highlightsहाल ही में भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते में पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।अप्रैल में रिटायर हुए एस. जयशंकर टाटा समूह के नए ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स प्रेसीडेंट की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

पीएम मोदी सरकार में जवाहरलाल नेहरू विवि से पढ़े दो पूर्व छात्र टॉप फोर में शामिल हुए है। एस जयशंकर को सुषमा स्वराज के स्थान पर विदेश मंत्री और निर्मला सीतारमण को अरुण जेटली की जगह नया वित्त मंत्री बनाया गया है। 

डॉ. एस जयशंकर ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। रिटायर हो चुके एस जयशंकर को बीते मार्च में पद्मश्री सम्मान मिला था, आज वह मोदी मंत्रिमंडल में शपथ लिए। चीन में सबसे ज्यादा समय तक भारतीय राजदूत के तौर तैनात रहे एस. जयशंकर मोदी कैबिनेट में शामिल हुए। 


निर्मला सीतारमण के बाद एस जयशंकर दूसरे मंत्री होंगे जिन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्व (जेएनयू) विद्यालय दिल्ली से पढ़ाई की है। इसी साल 2019 में रिटायर हुए सुब्रह्मण्यम जयशंकर सबसे लंबी 36साल की विदेश सेवा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से इंटरनेशनल रिलेशन में एमए किया है। हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते में पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।

अप्रैल 2018 में रिटायर हुए एस. जयशंकर टाटा समूह के नए ग्लोबल कॉरपोरेट अफेयर्स प्रेसीडेंट की जिम्मेदारी निभा रहे थे। तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीते कार्यकाल में मोदी सरकार की आक्रामक विदेश नीति का आधार तैयार करने में एस. जयशंकर का हाथ माना जाता है। कहा जाता है कि वह शांत प्रकृति के ऐसे अधिकारी हैं जिनके रहते विदेश नीति में कई बदलाव हुए।

कहा जाता है कि अपनी बहुआयामी कूटनीतिक योग्यता की वजह से एस. जयशंकर ने मोदी सरकार में अपनी अलग जगह बना ली है। प्रधानमंत्री की गुडबुक में ही नहीं एस. जयशंकर ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी भरोसा जीता है। 

राजनयिकों के साथ तमाम बैठकों में वह नरेंद्र मोदी के साथ हिस्सा लेते नजर आए हैं. कहा जाता है कि हाल ही में चीन से सीमा विवाद को सुलझाने में भी इनकी कूटनीति की ही भू‍मिका रही। मूलत: तमिल परिवार में जन्मे 64साल के एस जयशंकर की परवरिश दिल्ली में हुई। उन्होंने शुरुआती शिक्षा एयरफोर्स स्कूल से ली। उनके पिता के सुब्रह्मण्यम प्रशासनिक अधिकारी थे।

 

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