देश में एकसाथ चुनाव कराने की तैयारी में जुटी मोदी सरकार, संविधान के प्रावधानों में करना होगा बदलाव!
By स्वाति सिंह | Published: August 18, 2019 09:02 AM2019-08-18T09:02:47+5:302019-08-18T09:02:47+5:30
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से गुरुवार को अपने भाषण में उन्होंने इसमें कोई संदेह नहीं छोड़ा कि एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए वह आक्रामक रूप से पूरी जोर लगाएंगे।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए संबंधी अपने फैसले पर दोनों सदनों समर्थन हासिल किया। अब सराकर एक देश एक चुनाव योजना पर भी संसद में उसी प्रकार समर्थन जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करने में जुटी है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले संविधान के अनुच्छेद को संशोधित करना होगा।
यानि ये कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने के लिए संविधान के अनुच्छेद 172 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 14 में संशोधन करना होगा। बता दें कि संविधान में विधानसभा के कार्यकाल के लिए अनुच्छेद 172 हैं। जबकि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 14 में संसद के चुनावों से संबंधित है।
इनके संशोधन के लिए संविधान में भी बदलाव करना पद सकता है। हालांकि सरकार के पास दोनों सदनों में बहुमत है तो इसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है। गौरतलब है कि संविधान के संशोधन के लिए दोनों सदनों में कम से कम दो तिहाई बहुमत से पारित करवाना होता है। इसके बाद विधानसभाओं में इसके लिए 50 फीसदी मंजूरी मिलना अनिवार्य होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी एक राष्ट्र एक चुनाव (वन नेशन वन पोल) की महत्वाकांक्षी योजना को जल्द साकार करने के लिए एक समिति का गठन कर सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस साल दोबारा सत्ता में आने के तुरंत बाद जून में मोदी ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के दौरान अपनी इस योजना को आगे बढ़ाया।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से गुरुवार को अपने भाषण में उन्होंने इसमें कोई संदेह नहीं छोड़ा कि एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए वह आक्रामक रूप से पूरी जोर लगाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने थिंक टैंक नीति आयोग 2024 से दो चरण के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की सिफारिश को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। आयोग ने पिछले साल अगस्त में खर्च में कटौती और जनता के पैसे बचाने के लिए लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। जब कानून मंत्रालय ने कहा कि संविधान में संशोधन और संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत के बिना यह संभव नहीं है, तो प्रधानमंत्री मोदी इस पर समर्थन जुटाने में व्यस्त हो गए।