चीन से जारी तनाव के बीच मोदी सरकार ने तीनों सेनाओं को दी 500 करोड़ रुपये के हथियारों की खरीद को मंजूरी
By अनुराग आनंद | Published: June 21, 2020 06:36 PM2020-06-21T18:36:23+5:302020-06-21T18:39:28+5:30
तीनों सेना के वाइस चीफ को आवश्यक हथियारों की फास्ट ट्रैक प्रोसिजर के तहत हथियार उपकरण खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
नई दिल्ली:चीन से जारी तनाव के बीच भारत सरकार ने तीनों सेनाओं को 500 करोड़ रुपये के हथियारों की खरीद को मंजूरी दी है। मिल रही खबर के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार ने तीनों सेनाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक 500 करोड़ रुपये तक के घातक हथियारों और गोला बारूद को खरीदने को छूट दी है।
टीओआई के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को खतरनाक अस्त्र शस्त्रों की तात्कालिक और आपात खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां दी हैं।
चीनी सेना की तैनाती को देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है-
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले कई दिनों से जारी तनातनी को देखते हुए सेनाओं को यह वित्तीय अधिकार देने की जरूरत महसूस की गई। चीन से लगी करीब 3500 किमी सीमा पर भारी संख्या में सैनिकों को तैनात किया गया है।
उरी हमले और पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद भी सशस्त्र सेनाओं को इस तरह के वित्तीय अधिकार दिए गए थे।
एयर फोर्स ने खरीदे कई हथियार-
एयर फोर्स ने कई अहम हथियार खरीदे हैं। इनमें स्पाइस-2000 एयर टु ग्राउंड स्टैंड ऑफ मिसाइल, स्ट्रम अटाक एयर टु ग्राउंड मिसाइल के साथ-साथ हवा से हवा में मार करने वाली कई मिसाइलें शामिल थीं।
सेना ने इजरायल से स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और अमेरिका से प्रीसिशन गाइडेड म्यूनीशंस खरीदे हैं। तीनों सेनाओं को ये वित्तीय अधिकार देने की मुख्य वजह यह है कि आपात स्थिति में शॉर्ट नोटिस पर उनकी पूरी तैयारी हो।
चीन ने चली गंदी चाल
इस बीच जब भारतीय पेट्रोलिंग दल वापस आया था, उसी समय चीनी सेना ने उस पोस्ट पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और पास के पोस्ट से करीब 300 से 350 चीनी सैनिक वहां आ गये।
सूत्रों के अनुसार जब तक भारतीय दल वहां पहुंचा, चीनी सैनिक अपनी तैयारी पूरी कर चुके थे। उन्होंन पत्थर और दूसरे हथियार भी जमा कर लिए थे कि जिसका वे इस्तेमाल करने वाले थे।
बहरहाल, दोनों ओर से बातचीत शुरू हुई लेकिन ये सफल नहीं रही और बहस शुरू हो गई। इसके बाद भारतीय पक्ष ने गुस्से में चीनी सेनाओं के टेंट वगैरह उखाड़ने शुरू कर दिए। इस बीच पहले से तैयार चीनी सेना ने धावा बोल दिया। सबसे पहली चोट बिहार रेजीमेंट के हवलदार पलानी को लगी। ये देख बिहार रेजीमेंट के अन्य सैनिकों का गुस्सा और बढ़ गया और वे पूरे पराक्रम से चीनी सेना पर हमला करने लगे।
हालांकि, वहां चीनी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा थी और उन्होंने तैयारी भी कर रखी थी, लेकिन बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने उनका जमकर मुकाबला किया।
तीन घंटे तक जारी रही झड़प
ये झड़प तीन घंटे तक जारी रही। इस दौरान देर रात तक बड़ी संख्या में चीनी सैनिक हताहत हुए। अगली सुबह तक मामला जब कुछ ठंडा हुआ तब तक चीनी सैनिकों के शव वहीं जमीन पर पड़े हुए थे। बाद में सूत्रों के अनुसार भारतीय सैनिकों की ओर से वे शव चीन को लौटाए गए।
मिली जानकारी के अनुसार भारतीय पक्ष से 100 ट्रूप्स इस ऑपरेशन में थे जबकि चीन की ओर से उस समय वहां 350 से ज्यादा सैनिक मौजूद रहे होंगे। हालांकि, इसके बावजूद बिहार रेजीमेंट के जवानों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से चीनी सैनिकों को उखाड़ फेंका।
सूत्रों के अनुसार पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17A पर गतिरोध को सुलझाने के लिए बातचीत का दौर जारी है। अगले कुछ दिनों में फिर से भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की मीटिंग की योजना बनाई जा रही है।