मोदी सरकार का सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण का एलान, तीन राज्यों में हार के बाद मिला सबक
By विकास कुमार | Published: January 7, 2019 02:43 PM2019-01-07T14:43:18+5:302019-01-07T15:39:54+5:30
मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे संघ का भी दबाव हो सकता है. क्योंकि जिस तरह से सवर्णों का मोहभंग मोदी सरकार से हो रहा था, उससे संघ की भी चिंताएं बढ़ने लगी थी. सरकार ने इस फैसले के साथ ही अपने कोर वोटर्स को एक बार फिर साध लिया है.
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सवर्ण जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का एलान किया है. कैबिनेट ने इस मामले को मंजूरी दे दिया है. आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को इसका लाभ मिलेगा. सरकार के इस फैसले को लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा था कि देश के सवर्ण बीजेपी से नाराज चल रहे हैं और इसी बीच ये भी खबर आई थी कि कांग्रेस ने सवर्णों को लुभाने की कोशिशें शुरू कर दी थी. लेकिन मोदी सरकार का यह फैसला लोकसभा चुनाव से पहले एक ब्रह्मास्त्र की तरह है जिसके कारण सवर्ण वोट अब बीजेपी के पक्ष में गोलबंद हो सकता है.
हाल ही में आये तीन राज्यों के चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. मध्य प्रदेश में सवर्ण वोटों की नाराजगी को शिवराज सिंह चौहान की हार के सबसे बड़े कारणों में माना जा रहा था. जिस तरह से मोदी सरकार ने एससी-एसटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जिस तरह पलटा था उसे पूरे देश में सवर्णों की नाराजगी बढ़ गई थी. सवर्ण वोट बीजेपी के कोर वोटबैंक माने जाते हैं.
मध्यप्रदेश में हार से मिला सबक
सप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद मोदी सरकार को लेकर पूरे देश में नाराजगी थी और सवर्ण जातियां सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रही थी. लेकिन भाजपा ने इस मुद्दे को भाव नहीं दिया और दलित वोटों को खुश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया. ऐसे में पूरे देश में इनके खिलाफ माहौल बना और सवर्णों की गोलबंदी के कारण विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जबरदस्त झटका लगा.
इस फैसले के पीछे संघ का भी दबाव हो सकता है. क्योंकि जिस तरह से सवर्णों का मोहभंग मोदी सरकार से हो रहा था, उससे संघ की भी चिंताएं बढ़ने लगी थी. सरकार ने इस फैसले के साथ ही अपने कोर वोटर्स को एक बार फिर साध लिया है. क्योंकि देश में यह मांग बहुत दिन से जोरों पर थी कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.
अब इस फैसले पर सरकार को इस मसौदे को संसद में पेश करना होगा. देश में 50 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही लागू है और संविधान के अनुसार इससे ज्यादा आरक्षण का प्रतिशत नहीं हो सकता है. तो क्या ऐसे में सरकार संविधान संशोधन का सहारा लेगी. इस फैसले से सरकार ने एक तीर से दो निशाना साधा है. इस फैसले का विरोध कांग्रेस भी नहीं कर सकती है क्योंकि हाल के दिनों में कांग्रेस ने सवर्णों को लेकर अपनी पुरानी रणनीतियों पर ही आगे बढ़ना शुरू किया है.