मोदी कैबिनेट विस्तारः जदयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह बने मंत्री, सीएम नीतीश कुमार ने नहीं दी बधाई, ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा मिले
By एस पी सिन्हा | Published: July 9, 2021 02:41 PM2021-07-09T14:41:31+5:302021-07-09T14:42:56+5:30
Modi Cabinet Expansion 2021: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के बाद से पार्टी में उठे भूचाल को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी गई है.
Modi Cabinet Expansion 2021: केन्द्र की मोदी कैबिनेट के विस्तार के बाद विपक्ष के द्वारा जदयू को लेकर लगातार टिप्पणी की जा रही है.
वैसे जदयू में सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, जदयू के नेता चाहे लाख दावे कर लें कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक चल रहा है. कारण कि जदयू के अंदर हो रहा घटनाक्रम इस बात के संकेत दे रहा है कि पार्टी में ’ऑल इज वेल’ की स्थिति नहीं है. वहीं, अब जदयू ने खुद ही कुछ ऐसे ही संकेत दे दिए हैं.
इधर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के बाद से पार्टी में उठे भूचाल को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी गई है. जिसकी जिम्मेदारी एक बार फिर से पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह ने उठाई है. उन्होंने साफ कह दया है कि उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने का असंतोष नहीं है.
ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की इस मुलाकात को बेहद खास
इस दौरान ललन सिंह उपेंद्र कुशवाहा से मिलने के लिए उनके आवास पर भी गए. जिसके बाद से बिहार की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है. इसबीच अब आरसीपी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की इस मुलाकात को बेहद खास माना जा रहा है.
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में आरसीपी सिंह बतौर मंत्री शामिल हुए थे. उसके बाद से जदयू की अंदरूनी सियासत को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के केंद्रीय मंत्री बनने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई नहीं दी है. वैसे जदयू के नेताओं का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने पर इस बार फैसला लेने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी को अधिकृत किया गया था.
उन्होंने जो फैसला लिया, उस पर कोई गतिरोध नहीं है. बिहार की राजनीति में चर्चा तेज है कि उपेन्द्र कुशवाहा को जदयू का नया अध्यक्ष बताया जा रहा है. वहीं ललन सिंह को भी दावेदार बताया जा रहा है. ऐसे में आज दोनों नेताओं की मुलाकात भी कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रही है.
जदयू में आज एक और बड़ा बदलाव
माना जा रहा है कि ललन सिंह का अचानक उपेंद्र कुशवाहा के घर जाना जदयू की सियासत में नई पटकथा लिखने की तैयारी है. हालांकि विपक्षी दल ऐसा नहीं मानते. विपक्षी पार्टियों ने तो इसी मसले पर जदयू में टूट तक का दावा कर दिया है. ऐसे दावों में कितना दम है, ये तो आगे वक्त बताएगा. इसबीच जदयू में आज एक और बड़ा बदलाव हुआ है.
पार्टी ने मुख्य प्रवक्ता के पद से संजय सिंह को हटाते हुए पूर्व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार को यह जिम्मेदारी दी है. वैसे कुछ दिन पहले ही पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह को एक बार फिर से यह जिम्मेदारी दी गई थी. प्रवक्ता की लिस्ट से नीरज कुमार और अरविंद निषाद बाहर रखे गए थे.
जदयू की ओर से जारी सूची में नीरज कुमार के अलावा विधान पार्षद रणवीर नंदन, प्रो. सुहेली मेहता, डा अजय आलोक, निखिल मंडल, प्रगति मेहता, अरविंद निषाद एवं अभिषेक झा का नाम शामिल है. संजय सिंह पार्टी के विधान पार्षद हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं. पिछले दिनों ही राज्यपाल कोटे से उनका विधान परिषद के लिए मनोनयन हुआ था.
नई प्रदेश कमेटी में भी उन्हें मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था. लेकिन अब नीरज कुमार की वापसी हो गई है. अरविंद निषाद जो पहले पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता थे, उनकी भी वापसी हो गई है. विपक्ष पर हमलावर रहकर सत्ता पक्ष की बातें जोरदार ढंग से रखने वाले संजय सिंह को हटाए जाने का कुछ कारण नहीं बताया गया है.
वहीं नीरज कुमार भी सरकार की बातें प्रभावी ढंग से रखने के साथ ही विपक्ष पर कडे तेवर रखते हैं. वे मुखर होकर हमला करते थे. पार्टी सूत्रों के अनुसार नीरज कुमार हर मुद्दे पर प्रमुखता से बातें रखते थे. विपक्षियों के आरोपों पर वे करारा जवाब देते थे. लेकिन मुख्य प्रवक्ता के तौर पर संजय सिंह इतने सक्रिय नहीं थे. आरोप यह भी लग रहे थे वे एक जाति विशेष के लोगों से घिरे रहते थे. प्रवक्ता नहीं रहते हुए भी नीरज कुमार की सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने यह निर्णय लिया है.