मोदी कैबिनेट के 5 सबसे गरीब मंत्री, जानिए बस कंडक्टर से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 1, 2019 02:40 PM2019-06-01T14:40:18+5:302019-06-01T14:40:18+5:30
प्रताप सारंगी आज भी कच्चे घर में रहते हैं और साइकिल से चलते हैं. पूरे चुनाव के दौरान इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरती रहीं. सारंगी 2004 से लेकर 2014 तक विधायक भी रह चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के कैबिनेट में कुछ मंत्री अपनी सादगी के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं. सबसे ज्यादा चर्चा ओडिशा के बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी को लेकर हो रही है. उनके पास कुल 24 लाख की संपत्ति है. प्रताप सारंगी आज भी कच्चे घर में रहते हैं और साइकिल से चलते हैं. पूरे चुनाव के दौरान इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरती रहीं. सारंगी 2004 से लेकर 2014 तक विधायक भी रह चुके हैं.
बालासोर में इनके ख़िलाफ़ बीजेडी के अरबपति उम्मीदवार रवींद्र जेना थे. प्रताप सारंगी ने पूरे चुनाव में ऑटो और साइकिल से प्रचार किया था. मोदी सरकार में इन्हें सूक्ष्म एवं लघु उद्योग में मिनिस्टर ऑफ स्टेट की जिम्मेवारी मिली है. जब सारंगी शपथ लेने के लिए मंच पर पहुंचे तो भीड़ ने काफी देर तक तालियां बजा कर इनका स्वागत किया.
प्रताप सारंगी ओडिशा में बजरंग दल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. संघ से भी इनका जुड़ाव रहा है. सारंगी की व्यक्तित्व का एक पक्ष और है. इनके ऊपर सबसे ज्यादा मुकदमा दर्ज है. दंगे भड़काने और भीड़ को इकट्ठा करने जैसे मामले में इनके ऊपर केस दर्ज है. 1999 में जब ओडिशा में ऑस्ट्रेलिया के मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके बच्चे को भीड़ ने जिंदा जला दिया था तो उस समय प्रताप सारंगी ही बजरंग दल के अध्यक्ष थे. इस मामले में पुलिस ने बाद में बजरंग दल के जिला संयोजक को गिरफ्तार भी किया था और उन्हें सजा भी हुई थी.
कैलाश चौधरी- मोदी कैबिनेट में दूसरे सबसे गरीब मंत्री कैलाश चौधरी हैं. इन्हें बाड़मेर सीट से जीत मिली है. इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह चुनाव लड़ रहे थे. कैलाश चौधरी जाट समुदाय से आते हैं. बचपन से ही संघ से जुड़ाव रहा. कैलाश चौधरी बस के कंडक्टर भी रह चुके हैं. पार्षद का चुनाव हारने वाले कैलाश चौधरी 2013 में बायतु से विधायक चुने गए. मोदी सरकार 2.0 में इन्हें कृषि मंत्रालय में मिनिस्टर ऑफ स्टेट की जिम्मेवारी मिली है. इनकी कूल घोषित संपत्ति 24 लाख है.
वी मुरलीधरन- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ लेने वाले वेलमवेल्ली मुरलीधरन को केरल में भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का श्रेय जाता है. भाजपा के बड़े नेताओं की केरल यात्रा के दौरान मुरलीधरन अक्सर ही दुभाषिया का काम करते हैं. इनकी कूल संपत्ति 27 लाख है.
मुरलीधरन ने 1975 में आपातकाल के दौरान अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह केरल में राजनीतिक रूप से संवेदनशील कन्नूर जिले के रहने वाले हैं, जहां अक्सर ही माकपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें देखने को मिलती है.
रामेश्वर तेली- असम से चुन कर संसद पहुंचे रामेश्वर तेली असम की राजनीति के सबसे ईमानदार चेहरों में एक हैं. इनकी कुल संपत्ति 43 लाख है. इन्हें फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
देबाश्री चौधरी- देबाश्री चौधरी बंगाल में बीजेपी की दलित चेहरा हैं. इनकी कुल संपत्ति 61 लाख है. इन्हें महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय में मिनिस्टर ऑफ स्टेट का दर्जा मिला है.