‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ पर काम शुरू, एमएनआरई ने महत्वकांक्षी योजना पर रूपरेखा रखा, जानिए क्या है मामला

By भाषा | Published: May 28, 2020 09:44 PM2020-05-28T21:44:04+5:302020-05-28T21:44:04+5:30

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने महत्वकांक्षी योजना ‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ पर काम करना शुरू कर दिया है। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। इस योजना में क्या-क्या होगा सभी चीज पर चर्चा की गई है।

MNRE begins process to engage consultancy for One Sun One World One Grid plan | ‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ पर काम शुरू, एमएनआरई ने महत्वकांक्षी योजना पर रूपरेखा रखा, जानिए क्या है मामला

सुदूर पूर्व में म्यांमा, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया आदि देश आते हैं जबकि सुदूर पश्चिम में पश्चिम एशिया तथा अफ्रीका क्षेत्र आएंगे। (file photo)

Highlightsइस योजना के पीछे दृष्टिकोण यह है कि सूर्य कभी अस्त नहीं होता और दिये हुए समय पर कुछ स्थानों, देशों में स्थिर होता है। कहा गया है कि भारत के आधार केंद्र में होने के साथ सौर स्पेक्ट्रम को दो व्यापक क्षेत्रों में आसानी से बांटा जा सकता है।

नई दिल्लीः  नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने महत्वकांक्षी योजना ‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ के क्रियान्वयन के लिये दीर्घकालीन रूपरेखा और संस्थागत व्यवस्था तैयार करने को लेकर परामर्श कंपनी की सेवा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

मंत्रालय के इस सप्तह जारी अनुरोध प्रस्ताव के अनुसार ‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ कार्यक्रम के तहत देश भर में स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति के लिये परस्पर संबद्ध बिजली पारेषण ग्रिड की परिकल्पना की गयी है। इस योजना के पीछे दृष्टिकोण यह है कि सूर्य कभी अस्त नहीं होता और दिये हुए समय पर कुछ स्थानों, देशों में स्थिर होता है।

इसमें कहा गया है कि भारत के आधार केंद्र में होने के साथ सौर स्पेक्ट्रम को दो व्यापक क्षेत्रों में आसानी से बांटा जा सकता है। जैसे सुदूर पूर्व और सुदूर पश्चिम। सुदूर पूर्व में म्यांमा, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया आदि देश आते हैं जबकि सुदूर पश्चिम में पश्चिम एशिया तथा अफ्रीका क्षेत्र आएंगे। अनुरोध प्रस्ताव में कहा गया है कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को सुदूर पूर्व और सुदूर पश्चिम क्षेत्रों के 140 से अधिक देशों के बीच तालमेल बनाने, ऊर्ज नीति जारी करने और वैश्विक सहयोग के लिये रूपरेखा स्थापित करने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

इसमें कहा गया है कि इस पहल के जरिये भारत की परस्पर संबद्ध नवीकरणीय ऊर्ज संसाधनों के लिये वैश्विक परिवेश तैयार करने में एक और बड़ा कदम उठाने की योजना है। यह परस्पर लाभ और दुनिया के सतत विकास के लिये होगा। एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ के तीन चरण होंगे। पहले चरण में पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन के मामले में दूसरे संपन्न क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। तीसरा चरण एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिये बिजली पारेषण ग्रिड के वैश्विक स्तर पर परस्पर संबद्ध के लिये होगा।

प्रस्ताव में कहा गया है कि परस्पर संबद्ध ग्रिड सभी शामिल इकाइयों को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश हासिल करने के साथ कौशल, प्रौद्योगिकी और वित्त के उपयोग में मदद करेगा। इसके अनुसार इससे जो आर्थिक लाभ होगा, उससे गरीबी उन्मूलन, साफ-सफाई, खाद्यान्न और अन्य सामाजिक आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। पुन: प्रस्तावित एकीकरण से इसमें शामिल सभी इकाइयों के लिये परियोजना की लागत कम होगी, दक्षता बढ़ेगी और संपत्ति का उपयोग बढ़ेगा। 

Web Title: MNRE begins process to engage consultancy for One Sun One World One Grid plan

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