कांग्रेस के लिए खतरा है मिजोरम का ये चुनावी इतिहास, क्या लल थनहवला तोड़ पाएंगे रिकॉर्ड?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 11, 2018 10:16 AM2018-12-11T10:16:29+5:302018-12-11T11:07:02+5:30
Mizoram Assembly Election History: 1987 में मिजोरम के पृथक राज्य बनने से लेकर अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में नहीं आयी है। कांग्रेस ने मिजोरम में दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं।
मिजोरम में विधानसभा चुनाव की मतगणना चल रही है। शुरुआती रुझानों में मिजो नेशनल फ्रंड ने कांग्रेस से बढ़त बना ली है। राज्य में कांग्रेस पिछले दो चुनावों से सत्ता पर काबिज है। लेकिन मिजोरम का चुनावी इतिहास तीसरी बार सत्ता में आने से उसे रोक रहा है। गौरतलब है कि 1987 में मिजोरम के पृथक राज्य बनने से लेकर अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में नहीं आयी है। मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को मतदान हुए थे। वोटों की गिनती आठ जिला मुख्यालयों के 13 केन्द्रों पर चल रही है। चुनाव परिणाम यह तय करेगा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री लाल थनहावला फिर से सत्ता में लौटेंगे या नहीं।
28 नवंबर को पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ था और करीब 75 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में 7,70,395 मतदाता हैं जिनमें 3,94,897 महिला मतदाता भी शामिल हैं। चुनावी मुकाबले में 209 प्रत्याशी मैदान में है जिनमें से 15 महिलाएं हैं। कुल 1,179 मतदान केंद्रों में से 47 ‘संवेदनशील’ हैं और इतने ही ‘अति संवेदनशील’ हैं।
2013 के चुनावों में कांग्रेस को 34 सीटें मिली थीं जबकि मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को पांच तथा मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस को एक सीट मिली थी। कांग्रेस और एमएनएफ 1987 से ही मिजोरम की सत्ता पर काबिज हैं। भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस को हटाकर राज्य में अपना सत्ता काबिज करने के प्रयास में है। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के अन्य सभी राज्यों में भाजपा या भाजपा के सहयोग से बनी सरकारें हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से इनपुट्स लेकर