मिजोरम चुनाव में महिलाओं को तगड़ा झटका, भारत का ऐसा प्रदेश जहां एक भी महिला MLA नहीं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 14, 2018 12:14 PM2018-12-14T12:14:01+5:302018-12-14T12:14:01+5:30
मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों में से 26 सीट जीतने वाले मिजो नेशनल फ्रंट ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया था जबकि प्रदेश में दो सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक छह उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.
मिजोरम में विधानसभा के लिए हुए चुनाव में एक भी महिला चुन कर नहीं आयी है और दिलचस्प यह है कि प्रदेश में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बावजूद सभी 15 महिला उम्मीदवार चुनाव हार गई हैं. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कुल 209 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था, जिनमें 15 महिलाएं थीं.
राज्य में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में उतरी थीं. राज्य में कुल सात लाख सात हजार 395 मतदाताओं में से छह लाख 20 हजार 332 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इनमें तीन लाख 20 हजार 401 महिलाएं हैं.
मिजो नेशनल फ्रंट ने एक भी टिकट नहीं दिया
प्रदेश विधानसभा की 40 सीटों में से 26 सीट जीतने वाले मिजो नेशनल फ्रंट ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया था जबकि प्रदेश में दो सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक छह उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. धर्म आधारित समूह जोरामथार ने पांच महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.
द पीपुल्स रिप्रजेंटेशन फॉर आइडेंटिटी एंड स्टेटस आफ मिजोरम (प्रिज्म) और नेशनल पीपुल्स पार्टी ने भी किसी महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था. राज्य सरकार की सहकारिता मंत्री वी. चवांगथू एक मात्र महिला उम्मीदवार थीं जिसे कांग्रेस ने टिकट दिया था. उन्हें भी चुनाव में जीत नहीं मिली. जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जबकि राकांपा और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार को टिकट दिया था.
कुल 14 हजार 482 मत मिले प्रदेश में 15 महिला उम्मीदवारों को कुल 14 हजार 482 मत मिले. इसमें सबसे अधिक 3991 मत जेडपीएम के उम्मीदवार लालरिंपुई को मिला जो लुंगलेई सीट चुनाव मैदान में थीं. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस की चवांगथू रहीं, जिन्होंने 3815 मत प्राप्त किए. मिजोरम में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में छह महिला उम्मीदवार मैदान में थी और इनमें से किसी की जीत नहीं हुई.
बाद में 2014 में चवांगथू ने उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. मिजो समाज जिम्मेदार: विश्लेषक राजनीति विश्लेषक चुनाव में महिला उम्मीदवारों की असफलता के लिए मिजो समाज को जिम्मेदार मानते हैं जो पूर्ण रूप से पितृसत्तात्मक है. वे इसके अलावा बड़े राजनीतिक दल को भी इसके लिए जिम्मेदार बताते हैं जिन्होंने महिलाओं को मैदान में नहीं उतारा.