मिजोरम चुनाव: मात्र तीन वोट के अंतर से भी हुआ हार-जीत का फैसला, कांग्रेस खराब प्रदर्शन की करेगी समीक्षा
By भाषा | Published: December 13, 2018 03:32 PM2018-12-13T15:32:41+5:302018-12-13T15:32:41+5:30
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) से जबरदस्त हार का सामना करने वाली कांग्रेस 18 जनवरी को होने वाली बैठक में, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन की समीक्षा करेगी।
मिजोरम विधानसभा के लिए हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में जीत का सबसे कम अंतर महज तीन वोट रहा जबकि सबसे अधिक अंतर 2,720 वोट का था। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के लालछंदामा राल्टे ने तुइवाल सीट पर मात्र तीन मतों के अंतर से जीत हासिल की।
राल्टे को 5,207 वोट मिले थे जबकि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के विधायक आर एल पियानमविआ के हिस्से 5,204 मत आए। पियानमविआ ने मतों की फिर से गिनती की मांग की थी जिसे भारत निर्वाचन आयोग ने स्वीकार भी कर लिया था लेकिन पुन: गणना में भी सामने आया कि जीत का अंतर महज तीन मत ही था।
मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 28 नवंबर को हुए थे और मतों की गिनती 11 दिसंबर को की गई थी। राज्य विधानसभा चुनाव में जीत का सबसे अधिक अंतर 2,720 वोट रहा। एमएनएफ के विधायक ललरुआतकिमा ने 2,720 मतों के अंतर से कांग्रेस के अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी ललमलसामा नघाका को हराकर आइजोल पश्चिम दो की सीट अपने पास बरकरार रखी।
ललरुआतिकमा को 7,626 वोट मिले जबकि नघाका के हिस्से 4,906 मत मिले। मिजोरम के मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस उम्मीदवार लाल थनहवला ने निर्दलीय प्रतिद्वंद्वी ललदुहोमा से 410 मत कम मिलने के चलते सेरछिप सीट गंवा दी। वहीं चम्फाई दक्षिण सीट पर भी उन्हें 1,049 वोट कम मिलने की वजह से हार का मुंह का देखना पड़ा।
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) से जबरदस्त हार का सामना करने वाली कांग्रेस 18 जनवरी को होने वाली बैठक में, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन की समीक्षा करेगी। मिजोरम कांग्रेस प्रवक्ता लाललिआंगचुंगा ने बताया कि पार्टी के सभी उम्मीदवारों को गहन विचार विमर्श के सत्र में भाग लेने के लिए कहा जाएगा जिसमें 40 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की हार के कारणों पर चर्चा की जाएगी।
मंगलवार को घोषित किए गए विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस महज पांच सीटों पर जीत पाई जबकि 2013 के विधानसभा चुनावों में उसने 34 सीटें जीती थी। राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि वह तीसरे नंबर पर आ गई। एमएनएफ को 26 सीटें मिली और जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को आठ सीटें मिली।
शराब को लेकर उदार नीति, जेडपीएम का आगमन और सत्ता विरोधी लहर ऐसे कारण बताए जा रहे हैं जिनकी वजह से कांग्रेस पूर्वोत्तर में अपने आखिरी गढ़ ईसाई बहुल राज्य मिजोरम में अपनी सरकार नहीं बचा पाई।
एमएनएफ के मुख्यमंत्री पद के लिए नामित किए गए जोरामथंगा ने बुधवार को कहा कि लोगों ने लाल थनहवला सरकार को शायद शराब को लेकर उदार नीति के लिए नकारा होगा।
निवर्तमान मुख्यमंत्री थनहवला ने कहा कि उनकी पार्टी को 20 साल के प्रतिबंध के बाद 2015 में राज्य में शराब के ठेके खोलने के कारण शायद चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
भाजपा ने एक सीट के साथ राज्य में अपना खाता खोला। उसे बांग्लादेश की सीमा से लगे अल्पसंख्यक चकमा बहुल इलाके में एक निर्वाचन क्षेत्र से जीत मिली। भाजपा को चुनाव में आठ फीसदी वोट मिले।