#KuchhPositiveKarteHain: मिरेकल कूरियर कंपनी की अनोखी पहल, बधिरों के लिए शुरू किया 'करियर प्लेटफॉर्म'
By कोमल बड़ोदेकर | Published: August 3, 2018 07:50 PM2018-08-03T19:50:37+5:302018-08-03T19:50:37+5:30
हम कई बार कॉर्पोरेट कंपनियों के सीएसआर (कॉमन सोशल रिस्पॉन्सब्लिटी) यानी सामाजिक दायित्व के बारे में तो सुनते हैं लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कंपनियां सिर्फ समाज और लोगों के कल्याण के लिए ही खोली जाती है या काम करती है।
मुंबई, 3 अगस्त। हम कई बार कॉर्पोरेट कंपनियों के सीएसआर (कॉमन सोशल रिस्पॉन्सब्लिटी) यानी सामाजिक दायित्व के बारे में तो सुनते हैं लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब कंपनियां सिर्फ समाज और लोगों के कल्याण के लिए ही खोली जाती है या काम करती है।
ऐसी कंपनियों का मुनाफा और उद्देश्य भी सिर्फ जनसेवा ही होता है। कुछ ऐसी कंपनियों में से एक मुंबई स्थित मिराकल कूरियर कंपनी। दरअसल मिलाकल कूरियर कंपनी बीते कई वर्षों से बधिर युवकों को रोजगार मुहैया करवाकर उन्हें न सिर्फ सशक्त कर रही है बल्कि समाज के अन्य तबकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए प्रेरित कर रही है।
खास बात यह है कि, बधिरों को रोजगार देने वाली इस कूरियर कंपनी में डोनेशन नाम की कोई चीज नहीं है। यह आम कंपनियों की ही तरह व्यवसाय करने वाली कंपनियों में से एक है जो अपने यहां नौकरी करने वाले एम्प्लोइ को सैलरी देती है।
मिरेकल ने अक्षम लोगों के जीवन में उस सबे बड़े अहसास को छुआ और उन्हें रोजगार मुहैया करवाया है। काम के दौरान कई ऐसे लोगों की प्रतिभा खुलकर सामने निखरी जो आमतौर पर सामाजिक दबाव के चलते मन में ही दबी रह जाती है।
मिरेकल कूरियर कंपनी के संस्थापक ध्रुव लाकरा कहते हैं कि, अक्षम लोगों को समाज समय-समय पर ये अहसास करवाता रहता है कि वे उनसे अलग जबकि ऐसा नहीं है। वो हमारे अपने ही लोग है। वो भी हमारी तरह ही सक्षम हैं बस जरूरत है तो एक पहल की और थोड़ी सी सहानुभूति कि फिर देखिये कैसे उनकी प्रतिभा निखरकर सामने आती है।
इस कंपनी में काम करने वाला भूपेश उन लोगों में से है जिसका शारीरिक अक्षमता के चलते समाज बहिष्कार करते आया है या उन्हें अपने से अलग समझता है। भूपेश का कहना है कि, घर की माली हालत के चलते मैंने एक पूछा कि क्या वह नौकरी खोजने में मेरी मदद कर सकता है।
इसके बाद भूपेश को मिरेकल के बारे में पता चला। आज भूपेश इस कंपनी में न सिर्फ काम कर रहा है बल्कि समाज में रहने वाले अन्य लोगों की तरह सामान्य तौर पर अपना गुजर बसर कर रहा है। भूपेश अब अपना घर चलाता है। छोटे भाई पढ़ाई और घर खर्च उठाता है। भूपेश इस बात के लिए हर रोज अपने भगवान का शुक्रिया अदा करता है।