कोरोना से हुई मौत तो अपनों ने छोड़ा साथ, डॉक्टर ने मुखाग्नि देकर कराया अंतिम संस्कार, पेश की मानवता की मिसाल
By एस पी सिन्हा | Published: May 9, 2021 06:41 PM2021-05-09T18:41:57+5:302021-05-09T18:41:57+5:30
बिहार में कोरोना से हुई मौत के बाद जब अपनों ने छोडा साथ तो डॉक्टर ने मुखाग्नि दे कर संपन्न कराया अंतिम संस्कार का रस्म। चारो ओर इस घटना की चर्चा हो रही है।
बिहार में कोरोना महामारी से मची तबाही के बीच हो रही मौतों के बाद पराये तो दूर अपने भी मुंह मोड़ ले रहे हैं। ऐसे कई मामले प्रतिदिन सामने आ रहें हैं। लेकिन आज जो मामला सामने आया है, उसमें अपनी जान की परवाह किये बगैर कोरोना मरीजों की सेवा करने वाले एक डॉक्टर ने मानवता की मिसाल पेश की है।
दरअसल, बेगूसराय जिले में कोरोना से मरीज की मौत होने के बाद जब उसके अपने उसका अंतिम संस्कार करने नहीं आ पाए तो डॉक्टर ने मरीज को मुखाग्नि देकर उसका अंतिम संस्कार किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार बेगूसराय जिले के चमथा-एक पंचायत के वार्ड संख्या- दो स्थित चमथा छोटखूंट निवासी 55 वर्षीय धीरेंद्र सिंह की कोरोना से मौत होने के बाद उन्हें मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं मिला।
एकमात्र बेटा चंडीगढ के एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है। वह लॉकडाउन में फंसा है। जबकि मृतक का एक भाई व भतीजा घर पर है किंतु दोनों बीमार बताए जा रहे हैं। अस्पताल से श्मशान घाट तक शव के साथ मृतक की एकमात्र पत्नी ही विलाप करने को रह गई। मृतक को मुखाग्नि देने के लिए जब मेडिकल टीम ने उसके घर-परिवार व समाज के लोगों को बुलावा भेजा तो कोई भी घर से नहीं निकला।
रात भर लोगों के आने का इंतजार करने के बाद प्रभारी चिकत्सिा अधिकारी डॉ राम कृष्ण, बीडीओ कुमारी पूजा, सीओ नेहा कुमारी व थानाध्यक्ष अजित कुमार ने सुबह शव को अपनी मौजूदगी में एंबुलेंस से तेघडा प्रखंड के अयोध्या पत्थर घाट पहुंचाया। अधिकारियों की टीम दोपहर 12:00 बजे तक श्मशान घाट पर भी मृतक के परिवार या फिर सगे- संबंधियों के आने का इंतजार करती रही।
अधिकारियों की ओर से बार-बार आग्रह करने के बाद भी जब कोई श्मशान घाट नहीं पहुंचा तब प्रभारी चिकत्सिा अधिकारी डॉ राम कृष्ण ने ही मुखाग्नि देकर मृतक का अंतिम संस्कार किया। इस संबंध में बीडीओ ने बताया कि धीरेंद्र सिंह एक सप्ताह पूर्व बीमार पडे थे। उनकी जांच दलसिंहसराय अनुमंडलीय अस्पताल में की गई थी। कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद उन्हें दलसिंहसराय अनुमंडल अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था।