लड़कियों की सेहत भी रहे और जमीन को भी नुकसान न पहुंचे, महिला ने बना दिए पर्यावरण के अनुकूल ‘सैनिटरी नैपकिन’
By भाषा | Published: July 2, 2019 01:51 PM2019-07-02T13:51:43+5:302019-07-02T13:52:03+5:30
स्व-सहायता समूह की सदस्य शैदालिन मर्बानियांग ने केंद्र सरकार द्वारा माहवारी स्वच्छता पर आयोजित एक सप्ताह की कार्यशाला में भाग लेने के बाद रिआनदगो गांव में पिछले महीने ‘सिंतु’ नाम का अपना एक ‘सैनिटरी नैपकिन’ लॉन्च किया।
मेघालय में 30 वर्षीय एक महिला ने पहाड़ी राज्य में मिट्टी एवं वायु प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से पर्यावरण के अनुकूल ‘सैनिटरी नैपकिन’ बनाए हैं। स्व-सहायता समूह की सदस्य शैदालिन मर्बानियांग ने केंद्र सरकार द्वारा माहवारी स्वच्छता पर आयोजित एक सप्ताह की कार्यशाला में भाग लेने के बाद रिआनदगो गांव में पिछले महीने ‘सिंतु’ नाम का अपना एक ‘सैनिटरी नैपकिन’ लॉन्च किया।
मर्बानिआंग ने कहा, ‘‘मैं अपने गाँव की लड़कियों और महिलाओं के लिए ‘हाइजीनिक पैड्स’ की अनुपलब्धता को लेकर चिंतित थी। इसके साथ ही, राज्य में ‘नॉन-कंपोस्ट पैड’ के कारण निकास प्रणाली और लैंडफिल (गड्ढों की भराई) में इनके पहुंचने से पर्यावरण को खतरा था।’’
उन्होंने दावा किया कि नए पैड 95 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल सामग्री के साथ निर्मित किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अभी रोजाना, 300 पैड बनाए जाते हैं। मैं उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक स्वचालित मशीन स्थापित करने की दिशा में काम कर रही हूं।’’