आम चुनाव से बस 8 महीने पहले मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली पहुँचे लाखों किसान, रखी ये 3 माँगे
By स्वाति सिंह | Published: September 5, 2018 03:23 PM2018-09-05T15:23:28+5:302018-09-05T15:23:28+5:30
किसानों का कहना है कि अगली बार देश के हर राज्य से किसान आएंगे और राजधानी का घेराव करेंगे। किसानों का कहना है कि 28, 29, 30 नवंबर को देश के 201 किसान संगठन हर राज्य से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
नई दिल्ली, 5 सितंबर: वामदलों के समर्थन वाले किसान और मजदूर संगठनों ने बुधवार को दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। इस मोर्चे को 'मजदूर किसान संघर्ष रैली' नाम दिया गया है। यह रैली बुधवार सुबह 10 बजे से ही रामलीला मैदान से शुरू हुई। इसकी वजह से दिल्ली की कई जगहों पर जाम लग गया। इस रैली को संभालने के लिए दिल्ली पुलिस भी सड़कों पर उतर आई है।
रैली कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आगे वह इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे।
Delhi: Protestors under Mazdoor Kisan Sangharsh march towards Parliament from Ramlila Maidan. They are demanding debt waivers for farmers among other demands. pic.twitter.com/q7mzp8CzsL
— ANI (@ANI) September 5, 2018
किसानों का कहना है कि अगली बार देश के हर राज्य से किसान आएंगे और राजधानी का घेराव करेंगे। किसानों ने कहा, - 28, 29, 30 नवंबर को देश के 201 किसान संगठन हर राज्य से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
किसान और मजदूरों की प्रमुख मांग क्या है?
- आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि रोज बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाई जाए। इसके अलावा वह खाद्य वितरण प्रणाली की व्यवस्था को ठीक करने, मौजूदा पीढ़ी को उचित रोजगार मिले, सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी भत्ता 18000 रुपया प्रतिमाह तय किए जाने की मांग कर रहे हैं।
- इसके साथ ही मजदूरों के लिए बने कानून में किसी भी प्रकार का मजदूर विरोधी बदलाव ना हो, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों, गरीब खेती मजदूर और किसानों का कर्ज माफ हो।
-किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों से जबरन उनकी जमीन न छीनी जाए और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित गरीबों को उचित राहत मिले, हर ग्रामीण इलाके में मनरेगा ठीक तरीके से लागू हो, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और घर की सुविधा मिले।
हाल ही में हुए किसान आंदोलन
1 जून 2018 को मध्य प्रदेश समेत भारत के 22 राज्यों के किसान हड़ताल गए थे। अपनी मांगों को पूरा करवाने को लेकर 1 जून से 10 जून तक सब्जी, फल और दूध की सप्लाई रोकने की घोषणा की थी। इसके चलते कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सब्जियों, दूध और अन्य कृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंक दिया था इसके साथ ही शहरों में इन सभी पदार्थों की आपूर्ति को भी रोक दिया गया था।
किसान संगठनों ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मंडियों और थोक बाजारों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था।
सरकार की नीतियां
वैसे तो सराकर ने कई योजनाएं बनाई हैं। लेकिन किसानों की समस्या है कि उसे ठीक से अमल नहीं किया जा रहा। वहीं, किसानों का मानना है कि ग्रामीण बैंकिंग में जटिलताओं के कारण कर्ज पाना बहुत कठिन है।