आखिर क्यों मायावती नहीं भूला पातीं 'लखनऊ गेस्ट हाउस कांड', जानें 2 जून 1995 के दिन की पूरी कहानी

By पल्लवी कुमारी | Published: April 19, 2019 08:13 PM2019-04-19T20:13:48+5:302019-04-19T20:13:48+5:30

जब भी सपा-बसपा के साथ होने की बात होती है मायावती लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का नाम लेना नहीं भूलती हैं।  सपा- बसपा के लोकसभा चुनाव 2019 के पहले हुए गठबंधन की घोषणा करने के दौरान भी मायावती ने 2 जून 1995 में हुए चर्चित 'गेस्ट हाउस कांड' को दो बार याद किया था।

Mayawati never forget guest house kand lucknow, inside story of guest house kand | आखिर क्यों मायावती नहीं भूला पातीं 'लखनऊ गेस्ट हाउस कांड', जानें 2 जून 1995 के दिन की पूरी कहानी

आखिर क्यों मायावती नहीं भूला पातीं 'लखनऊ गेस्ट हाउस कांड', जानें 2 जून 1995 के दिन की पूरी कहानी

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी(सपा) के संयोजक मुलायम सिंह यादव 25 सालों के बाद उत्तर प्रदेश मैनपुरी में एक साथ एक मंच पर दिखें। मैनपुरी में शुक्रवार (19 अप्रैल) को महागठबंधन (एसपी-बीएसपी-आरएलडी) की रैली के दौरान मायावतीमुलायम सिंह यादव के लिए चुनाव प्रचार करने आईं थी।

जब भी सपा-बसपा के साथ होने की बात होती है मायावती लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का नाम लेना नहीं भूलती हैं।  सपा- बसपा के लोकसभा चुनाव 2019 के पहले हुए गठबंधन की घोषणा करने के दौरान भी मायावती ने 2 जून 1995 में हुए चर्चित 'गेस्ट हाउस कांड' को दो बार याद किया था। पिछले दो दशकों में जब भी सपा और बसपा के गठबंधन की बात हुई, लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र जरूर आया है। तो आइए बताते हैं 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड की पूरी कहानी? 


लखनऊ गेस्ट हाउस कांड का पूरा मामला? 

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर दी गई थी। सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा के संस्थापक कांशीराम ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए गठबंधन किया। 1993 में उप्र विधानसभा चुनाव में सपा को 109 सीटें, बसपा को 67 सीटें, भाजपा को 177 सीटें, जनता दल को 27 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं। 

इसके बाद, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बसपा और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाई। बसपा मुलायम सरकार में शामिल नहीं हुई थी और बाहर से समर्थन दे रही थी। दो साल के भीतर ही सपा एवं बसपा के रिश्ते इतने तल्ख हुए कि गठबंधन टूटने की नौबत आ गई। सपा को भनक लग गई कि बसपा मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेने का मन बना चुकी है और अंदरखाने भाजपा के साथ सरकार बनाने की तैयारी चल रही है।

मायावती ने खुद को एक कमरे में किया था बंद

जानकारों के अनुसार दो जून 1995 की शाम को बसपा ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई। लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों के साथ गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थीं। इसी बीच कथित तौर पर सपा के करीब 200 कार्यकर्ताओं और विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। इस दौरान बसपा के विधायकों के साथ कथित तौर पर मारपीट शुरू की गयी। मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ देर में भीड़ मायावती के कमरे तक पहुंची और दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगी। सपा के लोग उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे और बचने के लिए भीतर मौजूद लोगों ने दरवाजे के साथ सोफे और मेज लगा दिए थे ताकि चटकनी टूटने के बावजूद दरवाजा ना खुल सके।

इसी घटना के बाद मायावती ने साड़ी छोड़ दिया था! 

बताया जाता है कि इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कथित तौर पर अपशब्द कहे और जातिसूचक शब्द भी बोले। उन्होंने मायावती के साथ कथित तौर पर बदसलूकी का भी प्रयास किया। कुछ ही देर में एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और सपा समर्थकों को वहां से भगाया। कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि यही वह घटना थी, जिससे मायावती इतनी डर गईं थी कि उन्होंने सेफ्टी के तौर पर साड़ी छोड़ उस घटना के बाद सलवाल-कुर्ता पहना शुरू कर दिया था। 

मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की जानकारी आपको बेहतर तरीके से मिल सकती है। उस दिन गेस्ट हाउस के कमरे में बंद मायावती के साथ कुछ गुंडों ने बदसलूकी और हाथापाई की और उनके कपड़े फाड़ दिए।

घटना से सबक लेते हुए ही मायावती ने अपने कपड़े पहनने का ढंग ही बदल दिया था। गेस्ट हाउस कांड से पहले मायावती साड़ी पहना करती थीं लेकिन उसके बाद उन्होंने सलवार-कुर्ता पहनना शुरू कर दिया। 

इन लोगों ने की मायावती की मदद

बसपा के लोगों का आरोप है कि सपा के लोगों ने तब मायावती को धक्का दिया और केस में ये लिखाया गया कि वो लोग उन्हें जान से मारना चाहते थे। उस वक्त के स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा भी कहा जाता है कि बीजेपी के लोग मायावती को बचाने वहां पहुंचे थे लेकिन इन दावों में दम नहीं है कि बीजेपी के लोग मायावती और उनके साथियों को बचाने के लिए वहां नहीं पहुंचे थे।

मीडिया के मुताबिक ''मायवती के बचने की वजह मीडिया ही थी। जब गेस्ट हाउस पर सपा के लोगों ने हमला किया तो बाहर बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद थे। सपा के लोग वहां से मीडिया को हटाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ऐसा हो न सका।''

गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और वर्तमान में पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को घटना के दो दिन बाद ही निलंबित कर दिया गया था इस घटनाक्रम के बाद बसपा ने सपा से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया और मुलायम सरकार बर्खास्त हो गई। इसके बाद भाजपा ने मायावती को समर्थन का ऐलान किया और गेस्ट हाउस कांड के अगले ही दिन, 3 जून 1995 को मायावती ने उप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। (पीटीआई इनपुट के साथ) 

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