मायावती को गेस्ट हाउस कांड का जख्म भरने में लग गए 23 साल, आज टीस भुलाकर अखिलेश को लगाएंगी गले!
By आदित्य द्विवेदी | Published: January 12, 2019 09:57 AM2019-01-12T09:57:24+5:302019-01-12T09:57:24+5:30
यह आज भी एक कौतुहल का ही विषय है कि 2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में हुआ क्या था?
2 जून 1995 को उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा। उस दिन को प्रदेश की राजनीति का 'काला दिन' कहें तो कुछ भी गलत नहीं होगा। उस दिन एक उन्मादी भीड़ सबक सिखाने के नाम पर दलित नेता की आबरू पर हमला करने पर आमादा थी। मायावती को यह घटना भूलने में 23 साल का लंबा वक्त लग गया। शनिवार (11 जनवरी) को दोपहर 12 बजे अखिलेश यादव और मायावती साझा प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन का औपचारिक ऐलान करेंगे। इस घोषणा को गेस्ट हाउस कांड की आखिरी कील मान लेना चाहिए जिसे मायावती ने उखाड़ कर फेंकने का फैसला किया है।
इसकी झलक फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उप-चुनाव के दौरान ही देखने को मिल गई थी जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रत्याशियों को समर्थन देने का एलान किया था। अखिलेश यादव खुद मायावती को इसकी बधाई देने उनके घर गए थे। इसके बाद मायावती ने भी 23 मार्च 2018 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गेस्ट हाउस कांड को लेकर अखिलेश यादव का बचाव करते हुए कहा था कि उस वक्त अखिलेश राजनीति में आए भी नहीं थे।
गेस्ट हाउस कांडः जिसने मायावती के कपड़े पहनने का स्टाइल बदल दिया
यह आज भी एक कौतुहल का ही विषय है कि 2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अतिथि गृह में हुआ क्या था? मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की जानकारी आपको तसल्ली से मिल सकती है। इसके बार में जानने के लिए लोकमत न्यूज का ये स्पेशल वीडियो भी देख सकते हैं।
प्रेस कांफ्रेंस पर टिकी हैं निगाहें
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती शनिवार दोपहर 12 बजे साझा प्रेस कांफ्रेंस संबोधित करेंगे। माना जा रहा है इस प्रेस कांफ्रेंस में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीटों की घोषणा हो सकती है।
अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। हाल में ऐसे कई सर्वे सामने आये हैं जिसमें ये दावा किया गया है कि अगर सपा और बसपा का गठबंधन होता है तो बीजेपी को राज्य में जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में इस प्रेस कांफ्रेंस पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें टिक गई हैं।