मराठा आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाने से किया इंकार, महाराष्ट्र सरकार को जारी किया नोटिस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 12, 2019 11:37 AM2019-07-12T11:37:33+5:302019-07-12T11:37:33+5:30
याचिकाकर्ता का दावा है कि एसईबीसी आरक्षण कानून मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में क्रमश: 12 से 13 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है। यह शीर्ष अदालत के इंदिरा साहनी मामले में दिए फैसले में तय की गई 50 फीसदी आरक्षण सीमा का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मराठा आरक्षण पर स्टे लगाने से इंकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा- 'हम शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए मराठा आरक्षण को समाप्त करने की अपील पर सुनवाई करेंगे।'शीर्ष कोर्ट महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी कानून को बरकरार रखने के बंबई हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने मराठा आरक्षण संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग पर संज्ञान लेते हुए फैसला सुनाया। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है।
याचिका गैर सरकारी संगठन 'यूथ फॉर इक्वालिटी' के प्रतिनिधि संजीत शुक्ला ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का दावा है कि एसईबीसी आरक्षण कानून मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में क्रमश: 12 से 13 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है। यह शीर्ष अदालत के इंदिरा साहनी मामले में दिए फैसले में तय की गई 50 फीसदी आरक्षण सीमा का उल्लंघन है।