अपार्टमेंट परिसरों को गिराएगी केरल सरकार, सुप्रीम कोर्ट से कहा करेंगे आदेशों का पालन
By भाषा | Published: September 21, 2019 05:58 AM2019-09-21T05:58:03+5:302019-09-21T05:58:03+5:30
मुख्य सचिव ने शीर्ष अदालत से यह आग्रह किया कि 23 सितंबर को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश होने से उन्हें छूट दी जाए। मुख्य सचिव टॉम जोश ने कहा कि वह अपने किसी भी व्यवहार के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं जिसे यह अदालत अपने आदेश के अनुकूल नहीं मानती है।
केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को बताया कि तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की अधिसूचनाओं का उल्लंघन करते हुए कोच्चि के मरदु में निर्मित चार अपार्टमेंट परिसरों को गिराने के अदालत के निर्देशों का पालन करने के लिए उसने अपेक्षित कदम उठाए हैं। केरल के मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर शीर्ष अदालत से कहा कि न्यायालय के आदेशों का पालन किया जाएगा और इमारतों को गिराने के लिए एक विशेष एजेंसी का चयन करने की प्रक्रिया चल रही है।
मुख्य सचिव ने शीर्ष अदालत से यह आग्रह किया कि 23 सितंबर को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में पेश होने से उन्हें छूट दी जाए। मुख्य सचिव टॉम जोश ने कहा कि वह अपने किसी भी व्यवहार के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं जिसे यह अदालत अपने आदेश के अनुकूल नहीं मानती है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्र की अगुवाई वाली पीठ ने छह सितंबर को इमारतों को गिराने के संबंध में अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए केरल सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि राज्य को अदालत के आदेश का ‘‘पालन नहीं करने’’ के लिए जाना जाता है।
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से 20 सितंबर को अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करने के लिए कहा था और इसमें असफल रहने पर मुख्य सचिव को 23 सितंबर को अदालत में पेश होना होगा। मुख्य सचिव ने हलफनामे में कहा है कि इन इमारतों को सुरक्षित तरीके से गिराने के लिए एजेंसी की तलाश के लिए टेंडर जारी किये गए हैं और 16 सितंबर तक 15 विशेषज्ञ एजेंसियों ने इसके लिए आवेदन दिया है।
उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया जारी है और राज्य सरकार ने अदालत के आदेशों के पालन के लिए सभी कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक आग्रह करता हूं कि व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने से अदालत से मुझे छूट दी जाए।
केरल नगरपालिका अधिनियम, 1994 और केरल पंचायत अधिनियम, 1994 का उल्लेख करते हुए, मुख्य सचिव ने कहा कि मरदु पहले एक पंचायत थी और 2010 में इसे नगरपालिका के रूप में उन्नत किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों अधिनियमों के अनुसार इमारतों को बनाने की अनुमति और नियमों के उल्लंघन पर उन्हें ध्वस्त करने का आदेश देने की शक्ति पंचायत और नगरपालिका के पास है।’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के छह सितंबर का आदेश प्राप्त होने के बाद मरदु नगरपालिका के सचिव को संबंधित त्वरित कर्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।