आर्थिक मंदी के चलते लाखों लोग हुए बेरोजगार, ऑटो, टेक्सटाइल, स्टील, एफएमसीजी का बुरा हाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 23, 2019 08:49 PM2019-08-23T20:49:23+5:302019-08-23T20:49:23+5:30
विपक्षी दल और आर्थिक मामलों के तमाम जानकार मोदी सरकार पर डेटा छुपाने के आरोप लगाते रहे हैं। मोदी सरकार पर रोज़गार और जीडीपी के आंकड़े छिपाने के आरोप के चलते सांख्यिकी आयोग के दो सस्दयों ने इस्तीफ़ा तक दे दिया था।
देश गहरे आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। अर्थव्यवस्था और बाजार के जानकार लोगों को इस बात का एहसास काफी पहले हो गया था। लेकिन अब आम जनता को भी मंदी का अहसास होने लगा है जब अलग-अलग क्षेत्रों के उद्योग धंधे बंद होने से लोगों की नौकरियां जा रही हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि अब तक मंदी की मार के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं...आपको बताते हैं कि किस क्षेत्र में कितने लोग बेरोजगार हुए
मंदी के चलते सबसे बुरा हाल ऑटो इंडस्ट्री का है। टेक्सटाइल उद्योग, स्टील फैक्ट्री, शेयर बाजार, खाद्य क्षेत्र की कंपनियों का भी बुरा हाल है।
मौजूदा आर्थिक मंदी को 'अभूतपूर्व स्थिति' बताते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा- पिछले 70 सालों में ऐसी स्थिति कभी नहीं रही जब पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है। राजीव कुमार ने इसका सबसे बड़ा कारम नोटबंदी और जीएसटी को बताया है।
ऑटो सेक्टर का हाल
इस मंदी की मार सबसे ज्यादा ऑटो सेक्टर पर पड़ रही है। देश की बड़ी कार कंपनियों मारुति सुजुकी समेत ह्यूंडई, महिंद्रा, होंडा कार्स और टोयोटा किर्लोस्कर जैसी की बिक्री में सैकड़े के अंक में गिरावट दर्ज की गयी है।
रॉयटर्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक वाहन निर्माता कंपनियों, गाड़ियों के पार्ट्स बनाने वाले कारखानों और डीलर्स ने अब तक 3.50 लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। मारुति ने कई प्लांट पर एक शिफ्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया है और सिर्फ एक ही शिफ्ट में काम हो रहा है।
बाइक निर्माता कंपनियों ने भी करीब 1 लाख कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। कई अन्य कंपनियां कर्मचारियों की छटनी करने की योजना बना रहे हैं।
शेयर मार्केट
भारतीय शेयर बाजार में निवेश किये गए रकम को बाहरी निवेशक वापस निकाल रहे हैं। इसके चलते शेयर बाजार की स्थिति भी बिल्कुल ठीक नहीं है।
एफएमसीजी पर मंदी की मार
मार्केट रिसर्च कंपनी ने नीलसन ने 2019 में एफएमसीजी सेक्टर का ग्रोथ रेट 11-12 प्रतिशत तय किया था जिसे घटाकर 9-10 प्रतिशत कर दिया गया। नीलसन ने कहा कि मंदी का असर सभी फूड और नॉन-फूड कैटेगरी पर पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा असर नमकीन, बिस्किट, मसाले, साबुन और पैकेट वाली चाय पर देखने को मिल रहा है।
देश की सबसे बड़ी बिस्किट बनाने वाली कंपनी पारले प्रोडक्ट्स से भी एक बुरी खबर सामने आ रही है। कंपनी के प्रोडक्ट्स की खपत घटने से यहां से 8-10 हजार कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटक रही है। गौरतलब है कि इस कंपनी में करीब 1 लाख कर्मचारी काम करते हैं।
पारले के 10 हजार कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया कि हमने सरकार से 100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत के बिस्किट पर जीएसटी घटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मांग को नहीं मानती तो हमें फैक्टरियों में कार्यकात 8-10 हजार कर्मचारियों को निकालना पड़ेगा। बिक्री घटने से कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है।
टेक्सटाइल सेक्टर
टेक्सटाइल सेक्टर का हाल ये है कि उनकी बदहाली को मीडिया में भी उनके मनमुताबिक जगह नहीं मिली। मजबूरी में उन्हें पिछले दिनों विज्ञापन देकर अपनी बदहाली की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
देश की करीब एक-तिहाई कताई उत्पादन क्षमता बंद हो चुकी है और जो मिलें चल रही हैं, वह भी भारी घाटे का सामना कर रही हैं. अगर यह संकट दूर नहीं हुआ तो हजारों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। टेक्सटाइल क्षेत्र में लगभग 10 करोड़ रोजगार करते हैं।
स्टील उद्योग
टाटा स्टील भी मंदी की चपेट से बच नहीं सका। हाल ही में एक खबर आई थी बीजेपी नेता का बेटा नौकरी जाने के डर से सुसाइड कर लिया। उनका बेटा स्टील क्षेत्र से जुड़ी कंपनी में ही काम करता था। एक आंकड़े के मुताबिक झांरखंड में टाटा स्टील से जुड़ी कंपनियों के लगातार बंद होने से उनमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले लगभग 50 हजार लोग बेरोजगार हुए हैं।