मनोहर लाल खट्टर के सोनिया गांधी को 'मरी हुई चुहिया' वाले बयान पर कांग्रेस में उबाल, पार्टी ने किया चौतरफा हमला
By शीलेष शर्मा | Published: October 14, 2019 06:16 PM2019-10-14T18:16:55+5:302019-10-14T18:16:55+5:30
हरियाणा और महाराष्ट्र की भाजपा सरकारों में समानता को रेखांकित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के बुलढाणा में एक युवा द्वारा कुछ हजार के ऋण के लिए आत्महत्या कर लेना यह बताता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें किसानों को लेकर कितनी संवेदनशील है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उस बयान को लेकर जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी को ‘चुहिया’ और वह भी मरी हुई बताया था पर कांग्रेस ने खट्टर के खिलाफ चौतरफा हमला शुरू कर दिया है.
कांग्रेस ने इसे नीचे स्तर का घटिया बयान बताते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि मनोहरलाल खट्टर, संघ और भाजपा किस तरह महिला विरोधी चरित्र की पोषक है. खट्टर के बयान के खिलाफ जहां महिला कांग्रेस ने सड़कों पर निकल कर दिल्ली में अपना विरोध जताया वहीं पार्टी की प्रवक्ता रागिनी नायक ने इसे महिला विरोधी सोच वाला बयान करार दिया, नितीन राऊत ने खट्टर की ही भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें ‘खच्चर’ बता डाला.
वहीं पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गंभीर सवालों के साथ खट्टर पर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस और सोनिया पर ट्पिणी करने से बेहतर होता कि वे जनता को यह बताते कि पांच वर्षो में उनकी सरकार ने क्या काम किया या केवल हरियाणा को अपराध, भ्रष्टाचार, नारी की अस्मिता पर हमले और अशिक्षा जैसे अभिशापों को बढ़ाने का काम किया.
खेड़ा ने मतदाताओं की ओर से खट्टर सरकार से पूछा कि वो बताये कि मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी बात कर रहे है फिर हरियाणा का इतना बुरा हाल क्यों है. रागिनी नायक और पवन खेड़ा ने मौके का लाभ उठाते हुए किसानों की बात भी उठा डाली. उन्होंने आंकड़े पेश किए .
महाराष्ट्र और हरियाणा में किसानों की दुर्दशा, दोनों सरकारें संवेदनहीन
महाराष्ट्र में 12800 किसानों ने आत्महत्या की है और पुर्नवास मंत्री देसाई के सदन के पटेल पर दिए गए बयान पर विश्वास किया जाए तो सरकारी मदद केवल 6800 किसानों को प्राप्त हुई है. हरियाणा और महाराष्ट्र की भाजपा सरकारों में समानता को रेखांकित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के बुलढाणा में एक युवा द्वारा कुछ हजार के ऋण के लिए आत्महत्या कर लेना यह बताता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें किसानों को लेकर कितनी संवेदनशील है. भाजपा किसानों की आय दुगुनी करने की बात तो कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसान आत्महत्या कर रहे है.